अब एक क्लिक पर सोझे होई बदमाशन के कुंडली, फिंगरप्रिंट स्कैन क के पुलिस तैयार करी डाटा

कुमार आशू

अब गिरफ्त में आइल हर बदमाश के पुलिस फिंगरप्रिंट ले के डाटा तैयार करी। डाटा सुरक्षित रखे खातिर नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (नाफीस) सेल के गठन कइल गइल। एहमें पुलिस कर्मियन के तैनाती क देहल गइल बा।

सेल के ऑफिस जिला जेल के पास या फेर शहर लॉकअप के लग्गे बने एपर एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई मंथन क रहल बानें। जानकारी के मुताबिक, जेल गइले से पहिले बदमाशों के फिंगर प्रिंट स्कैन कइल जाई, फेर डाटा नाफीस सॉफ्टवेयर के जरिये एनसीआरबी में सुरक्षित रखल जाई। कौनो दूसर जगह पर अपराध कइलें के बाद जइसही बदमाश के फिंगरप्रिंट नाफीस के सामने आई, ओकर पुरान कुंडली खुलके सामने आ जाई।
इहो पता चल जाई कि ऊ कहां-कहां अउरी कब-कब अपराध कइलें बा। कई अइसन लोग बा जे दूसर जिला में जाके वारदात करेने अउरी अपने शहर में शरीफ बनके घूमेनें। आगे अइसन नाइ होई। बड़ वारदात कइलें के बाद छोट अपराध में जेल जाए वाले बदमाश भी दबोचल जा सकिहें

अइसे काम करs ला सिस्टम

 

सॉफ्टवेयर में पकड़ल गइल बदमाश अउरी सजा पावे वाले अपराधियन के फिंगरप्रिंट स्कैन कs के ओकर आपराधिक डाटा सुरक्षित होई। एमें दू स्कैनर बा। पहिला माफोटॉप लाइव प्रिंटर अउरी दूसरका फ्लैट बैट प्रिंटर। अपराधी अगर पकड़े गइले पर आपन पहचान छुपा रहल बा अउरी पुलिस ओकर पहचान नाइ कर पा रहल बा त एह सिस्टम पर उसका फिंगरप्रिंट स्कैन कर पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।

 

एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर कहले कि सेल के गठन क के पुलिसकर्मियन के तैनाती क देहल गइल बा। पकड़ल गइल बदमाशन के कोर्ट में पेश कइले से पहिले फिंगरप्रिंट लिहल जाई। सेल एही सप्ताह से अपना काम शुरू कs देईं।

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