अब गिरफ्त में आइल हर बदमाश के पुलिस फिंगरप्रिंट ले के डाटा तैयार करी। डाटा सुरक्षित रखे खातिर नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (नाफीस) सेल के गठन कइल गइल। एहमें पुलिस कर्मियन के तैनाती क देहल गइल बा।
सेल के ऑफिस जिला जेल के पास या फेर शहर लॉकअप के लग्गे बने एपर एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई मंथन क रहल बानें। जानकारी के मुताबिक, जेल गइले से पहिले बदमाशों के फिंगर प्रिंट स्कैन कइल जाई, फेर डाटा नाफीस सॉफ्टवेयर के जरिये एनसीआरबी में सुरक्षित रखल जाई। कौनो दूसर जगह पर अपराध कइलें के बाद जइसही बदमाश के फिंगरप्रिंट नाफीस के सामने आई, ओकर पुरान कुंडली खुलके सामने आ जाई।
इहो पता चल जाई कि ऊ कहां-कहां अउरी कब-कब अपराध कइलें बा। कई अइसन लोग बा जे दूसर जिला में जाके वारदात करेने अउरी अपने शहर में शरीफ बनके घूमेनें। आगे अइसन नाइ होई। बड़ वारदात कइलें के बाद छोट अपराध में जेल जाए वाले बदमाश भी दबोचल जा सकिहें