चाणक्य नीति : चाणक्य के सिद्धांत के अनुसार बचत के योजना बनाईं, इ 6 आदत घर में गरीबी ले आवेला
चाणक्य नीति : चाणक्य कहेले कि जहां नारी के अनादर होखेला, जहां उनुकर सम्मान ना होखेला, उहाँ लक्ष्मी के निवास ना होखेला।
चाणक्य नीति : चाणक्य के सिद्धांत के अनुसार बचत के योजना बनाईं, इ 6 आदत घर में गरीबी ले आवेला
चाणक्य नीति : चाणक्य कहेले कि जहां नारी के अनादर होखेला, जहां उनुकर सम्मान ना होखेला, उहाँ लक्ष्मी के निवास ना होखेला।
चाणक्य नीति : आचार्य चाणक्य के भारत के विद्वान आ कुशल राजनयिक मानल जाला।
सफलता खातिर चाणक्य नीति : महान गुरु चाणक्य के कहनाम बा कि आदमी के कुछ छोट-छोट गलती होखेला जवन कि ओकरा गरीबी के कारण बन जाला। एकरा चलते लक्ष्मी घर से निकल जाले अउरी आदमी के पईसा के नुकसान होखेला। चाणक्य के मुताबिक रात में रसोई में गंदा बर्तन राखे वाला आदमी के अयीसन घर में माई लक्ष्मी के आशीर्वाद ना मिलेला। क्रॉकरी चूल्हा पर आ ओकरा लगे ना राखे के चाहीं। एकरा से गरीबी बढ़ेला अउरी व्यक्ति के सम्मान कम होला।
चाणक्य के कहनाम बा कि जहां नारी के अनादर होखेला, जहां उनुकर सम्मान ना होखेला, उहाँ लक्ष्मी के निवास ना होखेला। अपना दुराचार के चलते मूल निवासी आर्थिक संकट से गुजर रहल बाड़े। अमीर होखे आ गरीब, आदमी के खराब व्यवहार, ओकर अभद्र भाषा ओकरा के गरीबी के राह पर ले जाला। चाणक्य नीति के कहनाम बा कि सांझ के घर में झाड़ू लगइले see आशीर्वाद घर से दूर हो जाला। साँझ माँ लक्ष्मी के आगमन के समय होला। अगर सूरज ढलला के बाद झाड़ू लगावे लगनी त घर के भीतर कूड़ा रक्खे नी त, इ सब ना करी।
चाणक्य के कहनाम बा कि उ लोग हमेशा आर्थिक संकट से गुजरेले, जे पईसा के कीमत ना देवेले, जवन फालतू खर्चा पे नियंत्रण ना करेले। अइसन लोग के माथा से माई लक्ष्मी के हाथ उठेला। पइसा कमाए के लालच में आ पइसा के बल पर पइसा के दुरुपयोग दोसरा के नुकसान चहुँपावे खातिर आदमी के विनाश के कगार पर ले आवेला। अइसन धन एक पल खातिर सुख दे सकेला, लेकिन तब सब पूंजी हाथ से निकल जाला। एही से तनी खुशी खातिर भटक मत जाई।
चाणक्य के कहनाम बा कि जे लोग ठीक से ना रहेला ओकर मतलब बा कि उ लोग आपन काम काल्ह तक टाल देवेला, जेकर उठला के समय तय नईखे। अइसन लोग जल्दी गरीब हो जाला। आचार्य चाणक्य के मुताबिक कवनो आदमी के सबसे बड़ दुख मूर्ख होखल होखेला। अगर आदमी मूर्ख बा त ओकरा जीवन में कबो सुख ना मिल सकेला। ओकरा जीवन में डेग-डेग पर दुख आ अपमान के जिए के पड़ेला। बुद्धि के बिना आदमी कबो प्रगति ना कर सकेला।
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