गाेरखपुर। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में आयुर्वेद के दुर्लभ औषधियन के संरक्षण कइल जाई। एह खातिर डिजिटल संग्रहालय बनावे के योजना तइयार कइल जा रहल बा। एकरा संग्रहालय में दुर्लभ औषधीय पौधन के सजीव रूप में सुरक्षित राखल जाई। एह से विद्यार्थियन के संगे-संगे आम लोगन के पौधन के बारे में पूरा जानकारी मिल सकेला।
आयुष विश्वविद्यालय में ऑडिटोरियम के निर्माण चल रहल बा। एकर काम मार्च 2026 तक पूरा होखे के उम्मेद बा। एह ऑडिटोरियम के भीतर डिजिटल संग्रहालय बनावे के योजना विश्वविद्यालय प्रशासन बनवले बा।
कुलपति डॉ. के रामचंद्र रेड्डी बतवलें कि आयुर्वेद के दुर्लभ औषधियन के बारे में आम लोगन के बहुते कम जानकारी होला। आयुष के विद्यार्थियन के पढ़ाई के जरूरत आ आम जनता के जागरूकता खातिर सजीव पौधन के रखल जाई। हर एगो पौधा के संगे ओकर गुण, उपयोग, औषधीय महत्व आ संरक्षण के तरीका से जुड़ल विस्तार से जानकारी प्रदर्शित कइल जाई। एकरा अलावे दुर्लभ औषधियन के नमूना संग्रहालय में देखावल जाई।
ऊ बतवलें कि एह पहल से विश्वविद्यालय के भ्रमण करे आवे वाला शोधार्थी आ आम लोग आयुर्वेद के समृद्ध परंपरा से परिचित हो सकी। एह संग्रहालय के मुख्य उद्देश्य दुर्लभ औषधियन के संरक्षण करत लोगन में एकरा प्रति जागरूकता बढ़ावल बा।
कुलपति बतवलें कि संग्रहालय में शिलाजीत (हिमालय के चट्टान से मिले वाला दुर्लभ औषधि), मूर्वा (एगो औषधीय लता), अश्वगंधा, अडूसी, वासा, दांती, पिपली, चित्रक, अशोक, मधुकरी, लोध्रा, बहेड़ा, नागोद भा निर्गुंडी, श्योनाक सहित कइयन गो औषधीय पौधन के सजीव रूप में सुरक्षित रखल जाई।
एकरा संगे संग्रहालय के आउर भव्य आ दिव्य रूप देवे खातिर उत्तराखंड के पहाड़ से खास औषधीय पौधन के मंगावे के योजना बा। ई डिजिटल संग्रहालय आयुर्वेद के अमूल्य विरासत के सहेजे के दिशा में एगो महत्वपूर्ण डेग साबित होई।









