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Kargil Vijay Diwas : यूपी के 19 साल के लाल कइसे छाती पर 15 गोली खा के टाइगर हिल के बचा लिहले, जानि कारगिल हीरो के कहानी

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खून से भींजल, देह में 15 गोली, अभीयो दुश्मन पs हमला करत, ई कवनो फिल्मी कहानी ना हs, ई कारगिल युद्ध नायक योगेन्द्र यादव के असली कहानी हs।

कारगिल विजय दिवस : कारगिल युद्ध के के भुला सकेला, जब भारतीय सेना के वीर लोग आपन जान जोखिम में डाल के देश के सीमा में घुसल दुश्मन के भगा दिहले। 26 जुलाई 1999 के एह युद्ध में भारत के जीत के घोषणा भइल आ कारगिल के चोटी पर तिरंगा गर्व से उड़े लागल। ओह जीत के याद में हर साल 26 जुलाई के कारगिल विजय दिवस के रूप में मनावल जाला।

कारगिल युद्ध के कई गो नायक रहले, ओहमें से एगो बाड़न परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव जे एक ना, दू ना, 15 गोली खा लिहले बाकिर दुश्मन से लड़त रहले आ टाइगर हिल जीत लिहले। उनका के टाइगर हिल के हीरो कहल जाला।

Yogendra Singh yadav

कहानी बॉलीवुड फिल्म जइसन बा

1999 के गर्मी में जब कारगिल युद्ध शुरू भइल तs योगेन्द्र यादव अभी सेना में आपन प्रशिक्षण पूरा कइले रहले। 18 ग्रेनेड के हिस्सा के रूप में उनका के टाइगर हिल पs कब्जा करे के काम दिहल गइल, जहां पाकिस्तानी सैनिक घुसपैठ कs के जड़ जमा लेले रहे।

पाकिस्तानी जवान ऊपर से गोली चलावत रहे 

एगो इंटरव्यू में बात करत घरी यादव ओह रात के रोवा सिहरावे वाली कहानी बतवले रहले। ऊ कहले, 3-4 जुलाई के रात रहे, हमनी के सबेरे चोटी के ओर चढ़त रहनी सs। दुश्मन के दुनो ओर बंकर रहे बाकी अन्हार के चलते ऊ बंकर ना लउकत रहे। दूसरा तरफ से फायरिंग शुरू हो गइल। खाली 7 जवान ही ऊपर चढ़ सकत रहले।

ऊ बतवले कि जसही ऊ लोग शीर्ष पs पहुंचले, हाथ से हाथ मिला के लड़ाई शुरू हो गइल, चार-पांच पाकिस्तानी जवान के मौत हो गइल बाकी सबसे कठिन समय आगे बा। पाकिस्तान के पूरा कंपनी सबसे ऊपर रहे। दुश्मन के सैनिकन के संख्या लगभग 150 से 200 के रहे।

पाकिस्तानी जवान जब देखले कि भारतीय सेना नजदीक आवत बिया तs भारी गोलीबारी शुरू कs देलख। योगेन्द्र यादव बतवले कि हमनी के हालत अइसन रहे कि एक डेग आगे बढ़ला के बादो हमनी के माथा में गोली लाग जाइत आ एक डेग पीछे लेला पs भी हेड शॉट लाग जाइत, माने मौत तय रहे, एहसे हमनी आगे बढ़नी।

एक-एक करके साथी लोग शहीद हो गइल

योगेन्द्र यादव कहले, हम आगे बढ़त रहनी आ पाकिस्तानी सेना बार-बार हमला करत रहे। एह दौरान उनकर एक-एक साथी उनका आंख के सोझा शहीद होखत रहले। उहो घायल होके बेहोश हो गइले।

जमीन पs गिरल भारतीय जवान पs पाकिस्तानी जवान गोली चलावत रहले। योगेन्द्र यादव बतवले कि जब गिरले तs तीन गोली लागल। बांह के हड्डी निकलल रहे, गोड़ में बहुत चोट लागल रहे, चलल ना जात रहे, बाकी हिम्मत ना गँवावले।

यादव जब होश में आ गइले तs देखले कि कुछ पाकिस्तानी जवान अभी भी मौजूद बाड़न सs। पास से एगो ग्रेनेड लेके जवानन पर फेंक दिहलन जवना से तीन गो के मौत हो गइल। ऊ उठे के कोशिश कइलन बाकिर देखलन कि उनकर हाथ उनकरा देह पर लटकल बा। बेल्ट से धड़ से हाथ बान्ह के राइफल बटोरे लगले।

हो सकेला कि ई कहानी बॉलीवुड फिल्म के पटकथा जइसन लागे बाकिर परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव रहले जे अपना अदम्य हिम्मत का आधार पर एकले हाथ से भारतीय सेना के टाइगर हिल पर कब्जा कर लिहले। ओह घरी उनकर उमिर महज 19 साल रहे।

कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव के जनम 10 मई 1980 के यूपी के बुलंदशहर जिला के औरंगाबाद अहीर गाँव में भइल रहे। उनकर पिता रामकरण सिंह यादव भी एगो सिपाही रहले आ 1965 आ 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लेले रहले। कारगिल युद्ध में ऊ अदम्य हिम्मत के प्रदर्शन कइलें आ टाइगर हिल चोटी पर विजय पावे खातिर आपन जान जोखिम में डाल दिहलें आ दुश्मन के बंकर में घुस के तबाही मचवले।

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