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एह मौसम में तेजी से फैलsला डेंगू अउर चिकुनगुनिया, बचाव खातिर करीं ई उपाय

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बरसात के मौसम में गंदगी के कारण जीवाणु के बढ़ले से मच्छरन के प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ जाला। मच्छर के कटले से व्यक्ति डेंगू, फाइलेरिया, चिकुनगुनिया अउर इंसेफेलाइटिस आदि बीमारियन से ग्रस्त हो सकsता। डेंगू अउर चिकुनगुनिया के फर्क चिकुनगुनिया में रक्तस्राव के जोखिम नाइ होला, जइसन डेंगू में प्लेटलेट्स के संख्या घटले के कारण पैदा हो जाला। डेंगू के मामिला के तुलना में चिकुनगुनिया के रोगियन में जोड़न के दर्द लंबा खींचsला। विशेषकर बूढ़ लोग में।

डेंगू

बरसात के मौसम में डेंगू बुखार का खतरा बढ़ जाsला। डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा फइलsला। वर्षा के कारन जगह-जगह पर बाढ़ आ गइला से जल भराव हो जाला। जगह-जगह पानी जमला के कारण एहमें मच्छर के पनपे के अवसर मिलsला। देश में लगभग 60 लाख लोग प्रतिवर्ष डेंगू के संक्रमण के घेरा में आ जाला।

लक्षण

मच्छर के कटले के पांच से दस दिन के अंतराल में डेंगू बुखार के लक्षण दिखे लागsला। एह लक्षण में … तेज सिरदर्द तेज बुखार होखल, आंख के पिछले हिस्से में दर्द, जी मिचलाइल अउरी उल्टी आइल, गर्दन अउरी पीठ में दर्द, जोड़ों अउरी मांसपेशियन मे ऐंठन अउरी दर्द, त्वचा पर चकत्ता उभरल, शारीरिक कमजोरी अउरी थकान, खून में प्लेटलेट्स के संख्या कम भइल, नाक, कान से खून रीसल, खूनी दस्त लागल अउरी खून के उल्टी आइल होला।

बात इलाज के

लक्षणों के आधार पर एह रोग के इलाज कइल जाला। जइसे तेज बुखार होखले पर रोगी के पैरासीटामोल दिहल जाला। अधिक-से-अधिक तरल पदार्थ लेहल जरूरी बा। अगर आदमी में प्लेटलेट्स के संख्या कम हो जाला चाहे रक्तस्राव शुरू हो जाए त प्लेटलेट्स रक्त के द्वारा चढ़ावल जाला। पहिला स्टेज में रोगी के अधिक से अधिक पानी पीयेके चाही। पपीता के पत्ता के रस के सेवन प्लेटलेट्स के संख्या बढ़ावे में मदद करsला। बुखार के उतरले के चार से नौ दिन के बीच में प्लेटलेट्स के संख्या कम होत जाला। इहे उ समय ह जब विशेष ध्यान रखले के जरूरत होला, नाइ त डेंगू हेमरेजिक बुखार अउरी डेंगू शॉक सिंड्रोम के स्थिति बन सकsला। अइसन स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेवे के चाहीं। एह रोग में स्व-चिकित्सा घातक हो सकsला।

बचाव के उपाय

घर के बर्तन अउर बाल्टी, जेमें पानी जमा रहsला, उनके खाली कs के उल्टा रखे के चाहीं, ताकि पानी जमा न होखे। अगर अइसन संभव न होखे त एह बर्तन के भली-भांति ढक के रखे के चाहीं। घर में लागल गमला के पौधा में जरूरत से ज्यादा पानी न डालीं, काहेसेकि पानी ज्यादा एकट्ठा रही त डेंगू के मच्छर के पनपले के आशंका बनल रही। बरसात के मौसम में मच्छरदानी के प्रयोग करीं, विशेषकर बचवन खातिर। दिन में अधिक नींद आवsला।। एहलिये उनके मच्छरदानी में ही सुतावे के चाहीं, काहेकेसेकि ई मच्छर दिन में ही काटsला।

कपड़ा अइसन पहिनीं, जेसे बांह-पैर पूरी तरह ढक जाए। पूरी बांह के कमीज या पैंट आदि पहनीं। अगर टी शर्ट चाहे हाफपैंट पहनीं त शरीर पर मच्छर प्रतिरोधी क्रीम के प्रयोग करीं। अइसन कइल सुरक्षा के दृष्टि से आवश्यक बा। घर में अगर कूलर बा त निश्चित अवधि पर ओकर सफाई करीं अउरी पानी बदलत रहीं। घर चाहे आसपास कूड़ा इकट्ठा न करीं। कूड़ा के डिब्बा के ढककर रखी अउर प्रतिदिन कूड़ा साफ करीं चाहें करवाईं। अपने निकटवर्ती परिवेश के साफ रखीं।

चिकुनगुनिया

चिकुनगुनिया के वायरस एडीज एजिप्टी मच्छर के कटले से फैलsला। एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में काटsला। एगो संक्रमित मच्छर से अन्य लोग में ई वायरस फइल सकsता।

चिकुनगुनिया के प्रमुख लक्षण

चिकुनगुनिया में तेज बुखार आवsला। बुखार आमतौर पर 102 से 104 फॉरेनहाइट ले चढ़sला। तीन से सात दिन के दौरान जोड़ों में गंभीर दर्द पैदा होला। जोड़न के दर्द सप्ताह भर चल सकsता, लेकिन कुछ लोग के मामला में अइसन दर्द एक साल चाहे एसे बेसी समय ले भी बनल रह सकsता। आमतौर पर बुखार के शुरुआत के बाद दाना दिखsला। हथेलियन, तलवा अउर चेहरा पर भी दाना दिखाई पड़ सकsता। मांसपेशियों में भी दर्द हो सकsता।

ई करावल जाला जांच

चिकुनगुनिया के पता करे खातिर ‘आर एन ए पी सी आर’ नामक टेस्ट बीमारी के पहिले सप्ताह में करावल जाsला। बीमारी के दूसरे सप्ताह के बाद ‘चिकुनगुनिया आई जी एम एंटीबॉडी एलाइजा’ नामक टेस्ट से एह बीमारी के डायग्नोसिस में मदद मिलsला।

सजगता बरतीं

चिकुनगुनिया के रोकथाम खातिर टीका (वैक्सीन) उपलब्ध नाइ बा। एहलिए मच्छर से हरसंभव विधि से बचाव कइल जरूरी बा। मच्छर से बचाव खातिर सूतत टाइम मच्छरदानी के इस्तेमाल करीं। मच्छर से बचाव खातिर मच्छर प्रतिरोधी क्रीम लगा सकतनी। पानी के घर में अउरी आसपास जमा न होखे देईं। घर में बाल्टियन के पानी हर दिन बदलीं।

लक्षण के अनुसार इलाज

चिकुनगुनिया वायरस के संक्रमण के कौनो विशेष एंटीवायरल इलाज नाइ बा। डॉक्टर लक्षण के अनुसार ही रोगी के इलाज करेने। जइसे पीड़ित व्यक्ति के तेज दर्द अउर बुखार से राहत दियावे खातिर पैरासीटामोल देलें। जोड़न में होखे वाले दर्द खातिर डॉक्टर कॉर्टीकोस्टेराइड्स नामक दवाई देलें। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ देत रहे के चाहीं।

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