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थार के रेगिस्तान में 534 साल पहिले बनल रहे ई जैन मंदिर, देसी घीव से भरल गइल रहे बीकानेर के एह मंदिर के नींव

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पानी के स्थान पs घी के उपयोग से मंदिर के निर्मान सुने में अजीब लागsता जइसे केहू हवा हवाई बात करत होखे। लेकिन ई सही बा। हम रउआ के अइसहीं मंदिर के बारे में बतावतनी जेकर नींव के निर्माण एक चाहे दू किलो नाइ बलुक चालीस हजार किलोग्राम घीव से कइल गइल रहे।

हम बात कर रहल बानीं बीकानेर विश्व प्रसिद्ध भांडाशाह जैन मंदिर के, जेकर नींव घीव से भरल गइल। इहे नाइ एह मंदिर में मथेरण अउरी उस्ता कला से चित्रकारी भी कइल गइल रहे। जेके देखे खातिर रोजना बड़ संख्या में देशी विदेशी पर्यटक आवेने अउर एह तस्वीरन के अपने कैमरा में कैद कsके ले जालें।

बीकानेर के लक्ष्मीनाथ मंदिर के लग्गे स्थित पांच शताब्दी से ढेर प्राचीन भांडाशाह जैन मंदिर दुनिया में आपन अलगे ख्याति रखsला। एकर निर्माण भांडाशाह नाम के व्यापारी 1468 में बनवावल शुरू करववलें अउरी एके 1541 में उनकर बेटी पूरा करववली। मंदिर के निर्माण भांडाशाह जैन द्वारा करवावे के कारन एकर नाम भांडाशाह पड़ गइल।

जमीन से करीब 108 फीट ऊंच एह जैन मंदिर में पांचवें तीर्थकर भगवान सुमतिनाथ जी मूल वेदी पs विराजमान बानें। ई पूरा मंदिर तीन मंजिल में बंटाइल बा। एह मंदिर के लाल बलुआ पत्थर अउरी संगमरमर से बनवावल गइल बा। मंदिर के भीतर के सजावट बहुत सुंदर बा। एहमें मथेरण अउरी उस्ता कला के शानदार काम कइल गइल बा।

इतिहासकार डॉ. शिव कुमार भनोत के अनुसार एह मंदिर के भितरी के भित्ति चित्र अउर मूर्ती भी बहुते दिलचस्प बा। मंदिर के फर्श, छत, खम्हा अउर दीवार मूर्तियन अउर चित्रकारी से सजावल बा। मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक के श्रेणी में बा। मंदिर के 500 वर्ष पूरा होखले पर डाक विभाग के विशेष आवरण अउरी विरुपण जारी कइल गइल बा।

मंदिर के देखे के आवे वाले विदेशी पर्यटक सेम कहने कि ई मंदिर अपने आप में अनोखा बा। स्थानीय कलाकारन के कइल चित्रकारी अउरी स्थापत्य कला के मूर्तिया आकर्षित करsला। एकरे निर्माण में 40 हजार किलोग्राम घी के उपयोग कइल एके विशेष बनावला। ई हमार सौभाग्य ह कि हम एके देखे अइलीं।

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