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1947 में भारत से मिट गइल रहे नामोनिशान, नामीबिया से ग्वालियर ले आवल गइले 8 चीते; PM मोदी कुनो में करिहें स्वागत

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नामीबिया से 8 चीतन के ले आवे आला विशेष चार्टर्ड कार्गो फ्लाइट मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भारतीय वायु सेना स्टेशन प लैंड क चुकल बावे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एकनी के कुनो नेशनल पार्क में रिहा करिहें। कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) चीतन के स्वागत खातिर खुद के तइयार क लेले बा। एकनी के खिलावे खातिर जंगली जानवरन के रिहा कइल गइल बा। एकरा अलावे स्थानीय लोगन के उचित निरदेस दिहल गइल बा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 72वां जन्मदिन प मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आ वन्यजीव विशेषज्ञन के उपस्थिति में सनीचर के सबेरे लगभग 10.45 बजे जानवरन के 10 किमी में फइलल एगो बाड़ा में छोड़ दिहें।

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव कहले, “भारत ओह देशन में से हs जे आपन गलतियन के दूर करे में विश्वास करेला। गलती सुधारल जाये के चाहीं। अत्यधिक शिकार के कारण भारत में चीता विलुप्त हो गइल रहे। हमनी के एकनी के वापस ले आवे के फसीला कइनी।”

चिनूक हेलीकॉप्टर में केएनपी जइहे स नामीबिया से आइल चीता

नामीबिया के राजधानी विंडहोक से बोइंग 747-400 विमान में आठ चीतन के भारत ले आवल गइल बा। मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव जेएस चौहान कहले, “ग्वालियर से भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के भारी-भरकम चिनूक हेलीकॉप्टर में चीतन के केएनपी में भेजल जाई।” चीतन के प्राप्त करे खातिर राष्ट्रीय उद्यान के 18 किमी अंदर पालपुर में पांच गो हेलीपैड बनावल गइल बा।

भूपेंद्र यादव कहले कि पीएम मोदी तीन चीतन के 50×30 मीटर के बाड़ा में छोड़ दिहें। इहां ओकनी के महीना खातिर छोड़ दिहल जाई। बाकी पांच के वन अधिकारियन द्वारा छोड़ल जाई।

11 घंटन से कुछो नइखे खइले सs चीता

चीतन के संगे भारत आइल पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ एड्रियन टॉर्डिफ कहले कि ओकनी के बियफे के खियावल गइल रहे। रास्ता में ओकनी के कुछ नइखे खिलावल गइल बा। ऊ उड़ान भरे से पहिले कहले रहस, “जब हमनी के भारत में उतरेम स त हमनी के ओकनी के विमान से वायु सेना के हेलीकॉप्टरन में स्थानांतरित क देब स आ सीधे कुनो ले जाएम स।”

चीतन के शिकार खातिर स्पेशल व्यवस्था

सुक के वन विभाग बाड़ा में चित्तीदार हिरण, चार सींग वाला मृग, सांभर आ नीलगाय के बच्चा छोड़लस। एगो वन अधिकारी नाम ना छपला के अनुरोध  कहले, “चीता दु से तीन दिन में एक बेर खाला। एहिसे कुनो पहुंचलास के बाद ऊ सनीचर भा अतवार के शिकार के मार सकत बाड़ें स।”

1947 में छत्तीसगढ़ में भइल रहे अंतिम चीता के शिकार

रउआ सभे के बता दीं कि भारत से चीता विलुप्त हो गइल रहे। आखिरी चीता 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला में मारल गइल रहे। एकरा बाद 1952 में एकरा के विलुप्त घोषित क दिहल गइल रहे। एकनी के भारत ले आवे के कोसिस में दशकन लाग गइल। 1970 के दशक में एकर शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कइले रहली। अब तक हमेशा अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक भा कानूनी बाधा के कारण भारत ले आवे के कोसिस विफल होत रहे।

एमपी के मुख्य वन्यजीव वार्डन जेएस चौहान कहले, “एह चीतन के शुरू में 6 वर्ग किमी के शिकारी मुक्त बाड़ा में छोड़ल जाई। कुछ महीनन के बाद एकनी के जंगल में छोड़ल जा सकेला। 6 वर्ग किमी के बाड़ के नव भागन में विभाजित कइल गइल बा।” ऊ कहले कि चीतन के आवाजाही आ व्यवहार के निगरानी बाड में लागल सीसीटीवी कैमरन आ ओकनी गर में लागलरेडियो कॉलर के माध्यम से कइल जाई। ऊ कहले कि कवनो शिकार के रोके खातिर बाड़न के बाहर कुत्तन के तैनात कइल जाई।

साभार: हिंदुस्तान

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