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टीवी मीडिया पs आंख मून के भरोसा न करीं- कुमार आशु

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टीवी मीडिया पs आंख मून के भरोसा न करीं

आज तक पs अंजनाओम कश्यप कहत रहली कि खारकीव के रूस हमला क के एकदम बर्बाद कs देहले बा। सगरी ओर राख…राख …धुआं …धुआं अउर ढ़हल इमारत (अइसने कुछ)।
तुरंते लाइव संवाददाता राजेश पवार ओनकर बात कटनें कि खारकीव बहुत बड़ा शहर बा, कुछ इमारतन के देख के रउआ पूरा शहर खातिर ई नाइ कह सकेनीं।
रूस के सामरिक ताकत पs तनियो मनी खोज कइले पs रउआ के ओकर रणनीति बुझा जाई। ओकर मकसद सत्ता पलटल बा। ओके यूक्रेन के तबाह करे के होइत त ओकर बड़की आर्मी खातिर ई दू दिन के काम रहल ह। एन्ना समझे खतिर एक्टपर्ट के जरूरत नाइ बा। हाथी कइसनो परिस्थिति में हिरन से नाइ हारी।
मीडिया युद्ध के मनोरंजन में बदल देहले बा। लमसम सगरी चैनलन के सब्दावली या त रउआ भितरी एक तरे के उन्माद जगाई नाइ त तनीमनी करुना पैदा करी।
जौने तरे अंजना ओम कश्यप दू-चार गो विजुअल्स देख दिल्ली में बइठल यूक्रेन के हाल बतावत रहली, कमोबेश ओइसने मानसिकता रउआ के उनकर बात सुन के अपना ड्राइंग रूम में बइठल हो सकेला।

रउए सोचीं कि यूक्रेन के निवासियन खातिर दुआ करत मीडिया रूसी मिसाइलन के धड़ाधड़ चलल काहें देखा रहल बिया? काहेंसेकि लोग, हम अउर रउआ देखल चाहतनीं जा। युद्ध मनोरंजन से कम नाइ बा। रिपब्लिक भारत जइसन चैनल कुल त चिल्ला-चिल्लाके भारतीय मीडिया के भरोसा के रसातल में पहुंचा देहले बा। अब सगरी एंकर लाउडस्पीकर बानें सब। हमनीके मीडिया के जगहंसाई जगजाहिर हो गइल बा।
युद्ध के मेन पक्ष बा कि पुतिन, जेलेंस्की, बाइडेन चाहे आपन मोदी जी…दुनिया के तमावन राष्ट्राध्यक्ष हमला, बचाव चाहे वोटिंग से दूर रहले के फैसिला अपने मर्जी से नाइ करेंने लोग। अनगिनत अनुभवी सलाहकारन के बिच्चे बइठ के उनसे राय-मसउदा होला। मने पुतिनो अकेल्ले आक्रमन के फैसिला नाइ कइले होइहें, ऊ कइयों नाइ सकेने। उनके अगिला-पिछला बतावल गइल होई। नफा-नुकसान गिनावल गइल होई। दूरगामी परिणाम के खाका देखावला गइल होई। ठीक एही तरे पेंटागन बाइडेन के सलाह देहले होई कि हमनीं के लम्मे रहे के बा। अमेरिका सबसे बेसी लड़ाई लड़ल बा, ओकरे सलाहकारन के अनुभव सगरी दुनिया से बेसी बा। जेंलेस्की के अमेरिके सलाह दे रहल बा, इहो साफे बा। मोदियो के भारतीय सलाहकार लोग इतिहास अउर भविष्य समझवलही होई। राष्ट्रप्रमुख भइले के मने अंतरराष्ट्रीय मामलन के विशेषज्ञ भइल नाइ होला। प्रधानमंत्री कौने दल के हवें, ऐसे फर्क नाइ पड़sला। फर्क पड़sला कि भारत खातिर का सही रही।
नेहरू से लेके मोदी ले हमनीके फॉरेन डिप्लोमेसी समान अउर सपाट रहल बा। ‘बड़े राड़े’ पर छोटहनो लइका बता देई, कि भारत के का रुख रही। हमनीके शांतिप्रिय देस हईं जा। हमनी पs सॉफ्ट टारगेट के बेंग बोलल जाला तब्बो ‘सांति’ (peace) हमनीके पहिला इच्छा ह।

दुनिया बचवले के जिम्मेदारी पलले खातिर ताकत रहल जरूरी ह। अमेरिका, चीन अउर रूस के लग्गे बा। हमनी लग्गे नाइ बा। हमनी के लड़ाई के मोर्चे पs टिकल जाई त आर्थिक मोर्चा पs लटक जाइल जाई।
रूस-यूक्रेन मामिला पs भारत के चिंता बर्बादी से ढ़ेर कच्चा तेल के दाम बढ़ले के लेके बा। कोविड से चरमराइल हमनीके आर्थिक स्तर खतरा ले पवले के स्थिति में तनिको नाइ बा।
पेट्रोल से लेके खाए आला तेल तक, सब महंग बा। हमनीं के युद्ध से बेसी बढ़त दाम से खतरा बा। प्राइवेट सेक्टर में तनखाह कम हो गइल बा लेकिन रोजीरोज की समान के दाम रोज दू-चार रुपया बढ़ते जा रहल बा।
ए लिए ई जरूरी बा कि बस मीडिया पs आँख मून के भरोसा कइले के जगही तनीमनी हालतो पs बिचार करीं अउर प्रार्थना करीं कि ई कुल जल्दिये ख़तम होखे।

– कुमार आशू

नोट- लेखक के ई आपन स्वतंत्र विचार हs।

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