Gorakhpur: बीआरडी में स्त्री आ प्रसूति विभाग में एगो बेड प दु-दु मरीज, नया वार्डो फुल

Anurag Ranjan

अमर उजाला के एगो रिपोर्ट के मोताबिक बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में स्त्री आ प्रसूति विभाग के इमरजेंसी सहित दुनो वार्ड के सब 118 बेड फुल हो गइल बा। स्थिति ई बा कि एके बेड प दु-दु गो मरीज के भरती करे के पड़ रहल बा। एकरा बावजूदो कइयन गो मरीजन के लवटे के पड़ रहल बा। ओहिजा, जदि केहू शिकायत कर रहल बा त ओकरा के निजी अस्पताल जाये के सलाह दिहल जा रहल बा।

मेडिकल कॉलेज के स्त्री आ प्रसूति रोग विभाग के लगे 54-54 बेड के दु गो सामान्य वार्ड बा। एगो वार्ड नंबर-आ दूसर वार्ड नंबर-सात। दुनो वार्ड के सब बेड फुल हो गइल बा। स्थिति ई बा कि एगो बेड प दु-दु मरीजन के भर्ती कइल जा रहल बा। स्त्री आ प्रसूति रोग विभाग खातिर बनावल गइल नया वार्ड करीब 20 दिन प खोलल गइल बा। एमे 10 बेड के इस्तेमाल कइल जा रहल बा। उहो बेड खाली नइखे।

बेड रहे फूल, जाये के पड़ल निजी अस्पताल में

दस नंबर बोरिंग के रहे वाला सुषमा के बियफे के रात प्रसव पीड़ा भइल। उनकर इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चल रहल बा, एह कारण परिजन रात में उनका के मेडिकल कॉलेज लेके गइल लो। भरती करे खातिर बहुते मान-मनौव्वल कइलस लो, बाकिर डॉक्टर तइयार ना भइल लो। मजबूरी में निजी अस्पताल में भरती करावे के पड़ल।

मेडिसिन इमरजेंसियो के बुरा हाल

मेडिसिन इमरजेंसियो में मरीजन के संख्या अचानके बढ़ल बा। इहो वार्ड 54 बेड के बा, इहवों मरीजन के भरती करे से मना करे के पड़ रहल बा। हर दिन 10 से 15 मरीज लवटावल जा रहल बा लो। मेडिसिन इमरजेंसी के जिम्मे 10 बेड के आईसीयूओ बा, जवन अभी खाली नइखे। आईसीयू के मरीजन के बीआरडी से हायर सेंटर रेफर कइल जा रहल बा।

बीआरडी में 1,750 बेड

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कुल 17 गो वार्ड चलेला। एह वार्डन में 1,750 बेड बा  नेहरू अस्पताल के एसआईसी डॉ. राजेश राय बतवले कि 90 फीसदी बेडन प मरीज भरती बा लो। एह वजे से नया मरीजन के भर्ती करे में दिक्कत हो रहल बा। 10 फीसदी बेड इमरजेंसी के मरीजन खातिर छोड़ल गइल बा। इमरजेंसी में रोज 60 से 70 मरीज आवेला लो। कबो-कबो ई संख्या 100 तक पहुंच जाला। खाली गंभीर मरीजन के हायर सेंटर रेफर कइल जाला।

प्राचार्य बीआरडी मेडिकल कॉलेज डॉ. गणेश कुमार ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आने वाले सभी मरीजों का इलाज प्राथमिकता के किया जाता है। इमरजेंसी में आने वाले मरीज प्राथमिकता में हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने पर बेड के इंतजाम किए जाते हैं। इसके बाद भी अगर बेडों की कमी है तो दूर किया जाएगा।

साभार: अमर उजाला

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