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तीज के बरतिया (कविता) गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ के कलम से

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हाथवा में मेंहंदी लगाइबि
सेनुरा सजाइबि
महावर लगाइबि हो
करब निर्जल, तीज के बरतिया
शिव के मनाइबि हो

तीज के बरत, एहवात करे जग में
पिया के बसावेली,अपना रग रग में
पंडित के घरवा बोलाइबि
कलसा सजाइबि
पूजा कराइबि हो
करब निर्जल, तीज के बरतिया
शिव के मनाइबि हो

चिटुकी भर सेनुरा के, मरम हम जानिले
पिया के उमरिया हम, रउरा से माँगिले
सखी सहेली के बोलाइबि
शिव महिमा सुनाइबि
शीश नवाइब हो
करब निर्जल, तीज के बरतिया
शिव के मनाइबि हो

सोरहो सिंगार साथे पेन्ही के कंगनवा
बरसे सोहाग भोला पूजा अंगनवा
अनन्या सिंह के बोलाइबि
गितिया गवाइबि
सरधा पुराइबि हो
करब निर्जल, तीज के बरतिया
शिव के मनाइबि हो

 

गणेश नाथ तिवारी”विनायक” के परिचय

गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ पेशा से इंजिनियर बानी बाकिर भोजपुरी साहित्य से लगाव के कारने इहाँ के भोजपुरी में गीत कविता कहानी लिखत रहेनीं| भोजपुरी भासा से गहिराह लगाव राखे आला एगो अइसन मनई जेकर कलम जुवा सोच के बढिया सबदन में सजावेला| इहाँ के कइ गो कविता ‘आखर ई पत्रिका’, ‘सिरिजन तिमाही पत्रिका’ आदि में छपत रहेला| ‘जय भोजपुरी जय भोजपुरिया’ के संस्थापक सदस्यन में से एक गणेश जी भोजपुरी खातिर बेहतरीन काम कs रहल बानीं|

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