कविता अटरिया मोर कहवाँ बनीं (कविता) गणेश नाथ तिवारी विनायक के कलम से Jun 21, 2022 नइखे बाँचल काठ के कोठरिया अटरिया मोर कहवाँ बनीं फेड खूंट झाड़ जंगल, सगरो कटि गइलें माटी के मड़इयाँ जाने, कहवा परइले लागि गइल लोहा के सटरिया…