कविता मनहरण घनाक्षरी (कविता)- गणेश नाथ तिवारी विनायक जी के कलम से Feb 27, 2022 मनहरण घनाक्षरी फगुनी बयार झरे ,लोगवा गुहार करे। धनि मनुहार करे,बाति मोरा मान ली।। बानीं परदेस रवा,चलि आई देस रवा। तनिको ना देर करी,मनवा में ठान…