Special story : ईंहों के जानी, ईंहों के पहचानी :एगो भोजपुरिया ‘सोनु किशोर’
खबर भोजपुरी रउरा सभे के सोझा एगो सेगमेंट लेके आइल बा….एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव कवि लेखक ' सोनु किशोर' के बारे में..
सोनु किशोर के जनम छपरा जिला के मुस्लिमपुर गांव में भइल। इs नाव इनकरी घर के रास के नाव रहे बाकिर असल मे देखल जाव तऽ इनकर कागजी नांव राज किशोर हऽ। नाव के साथे ‘किशोर’ भी बाबा जी जोड़नी। ‘राज किशोर’ नांव केहू जानल ना एहिसे एकरा के कागजे तक ले सिमित रखले। सोनू के शिक्षा – दिक्षा गाँवही में भइल। लइकाई में ‘कोलकता’ मे नांव लिखाइल रहे बाकिर इनकरी बाबूजी जी के नोकरी में ‘ओवर टाइम’ बन भइला के चलते नांव कटवा दिहल गइल। गाँव में सुरुवे से संयुक्त परिवार में रहले जवन लगभग 15 आदमी के एगो संयुक्त परिवार रहल। जिनिगी के जवन सिख आ संस्कार मिलल कुल एहिजे से मिलल। बाबा के बहुत बड़हन जोगदान बा। पढ़ाई लिखाइ सब गाँवही से बिहार बोर्ड से भइल। बारहवीं कइला के बाद ‘हिंदी साहित्य’ से स्नातक कइले आ अब आगे के पढ़ाई-लिखाई फिल्म दुनिया से जुड़ल करे के मन बा। लइकाई से गीत – गवनई इनकरी बाड़ा मन के भावे , सात क्लास ले बहुते गीत गावत रहले आ स्कूल के मास्टर साहेब लो के बाड़ा पसंदो रहे इनकर गावल । ओकरा बाद प्रकृति वाला खेल भइल आ आवाज भारी हो गइल तऽ ए चीज से नाता टुट गइल। बात इहो बा की छोड़हीं के पड़ीत काहे की मध्यमवर्गीय परिवार मे इ कुल चीजन के जगे ना रहे। लइकाई से ढोलक बजावे के बाड़ा सौख रहल! घरे ढोलक रहे तऽ फगुआ मे खूब बजावस आ अबहियों बजावेले। लोक परंपरा,लोक संस्कृति इs कुल चीज सुरुवे से बाड़ा पसंद रहल आ गाँवे रहल, गाँव के परिवेश में जियल , खाइल, पहिरल इ कुल जिनगी के बाड़ा बेजोर तरीका से सधलस जवना के परिनाम इहे बा की इनकर आपन माई भाषा भोजपुरी से परेम कबो कमजोर ना भइल”।
किशोर अपने आप के एगो भोजपुरिया कहेले! भोजपुरी कवि – लेखक। ई कहेले की ” हम पुरनका भोजपुरी से लेके नवका भोजपुरी दुनु देखले बानी आ देखत बानी। भोजपुरी से बहुते लगाव रहल एक दम माई लेखाँ। पहिले भोजपुरी में लिखत रही बाकिर बहुत कम बाकिर कोरोना काल मे ‘लॉक डाउन’ में हम कोलकता रहनी अपना माई बाबूजी जी के साथे आ ‘कोरोना काल’ हमरा लेखनी खातिर बाड़ा कारगर भइल। भोजपुरी के जाने के , बूझे के, पढ़े के बाड़ा समय मिलल! तब हमरा बुझाइल की असल में भोजपुरी का हऽ। हिंदी साहित्य से पढ़ाई कइला के बादो हमार झुकाव भोजपुरी के ओर रहल आ एहसे रहल काहें की हम सुरुवे से लोक के गोदी में पोसाइल बानी,खेलल बानी। ” आगे कहलेे- “कोरोना काल के बाद एगो गजब के बदलाव भइल हमरा भीतरी “भोजपुरी साहित्य” के लेके। इ कुल चीज देखऽ के घर – गाँव , संघतिया सब लोक अक बक रहल। भोजपुरी के लेके हमरा भीतर के बदलाव हमरो के कबो – कबो सोचे पs मजबूर कइलस बाकिर उहे चीज सामने आइल की अपना माई भाखा से प्रेम रहे के चाहीं । एगो गठजोर अपना माई भाखा से तऽ रहले रहे बाकिर साहित्य के लेके जवन भइल उऽ मनमोहक रहल। भोजपुरी मे लिखे के एगो बढ़िया सुरुआत एही घरी भइल” ओकरा बाद सोशल मीडिया पs पोस्ट करे लगले हिंदी – भोजपुरी दुनु में। धीरे- धीरे आपन लिखल रचनन के वीडियो बना के आपन बनावल चैनल Location bhojpuri नाव के फेसबुक आ इंस्टाग्राम id से डाल रहsल बाड़े। जवन लोगन के पसंदो आ रहल बा।
हाले में ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ के ओर से करावल गइल ओ कहानी प्रतियोगता में भाग लिहले। उs कहले- तनि मुस्किल रहे हमरा खातिर बाकिर सुधीर मिश्रा भइया के समझsवला आ मार्ग दर्शन पs हम आपन कहानी “रजमतिया” जवन की एगो सामाजिक मुदा पs लिखल गइल रहे ओके प्रतियोगता के दउड़ मे शामिल कइनी आ माई के किरपा देखि जिनगी के पहिलका कहानी के दउड़ में चौथा स्थान मिलल। यायावरी भोजपुरी के ओर से ई कहानी के सम्मान मिलल इ हमरा खातिर अगराए वाला विषय रहल।”
सोनू के सोशल मीडिया के ए दौर में साथ – संघतिया, घर के लोग के बाड़ा समर्थन मिलल आ मिल रहलऽ बा। कबो समर्थन के कमी ना भइल। इनकर मानल बा की जीवन में जदि कुछ बढ़िया होत बा तऽ ए सारा लोग के बहुत बड़हन जोगदान बा।
खबर भोजपुरी सोनू किशोर के उज्वल भविस के कामना करsत बा । उमेद बा की पूर्वांचल के एगो नवहा लेखक/कवि के नाव सऊंसे देस-बिदेस में होई।
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