Special story : ईंहों के जानी , ईंहों के पहचानी: गायक रविश कुमार सानू
एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव मखमली आवाज़ के जादूगर रविश कुमार सानू के बारे में।
खबर भोजपुरी एगो सेगमेंट लेके रउरा सब के सोझा आइल बा जवना में हमनी के अपना क्षेत्र में बेहतर काम क रहल युवा लोग से परिचय करावेनी जा।
एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव गायकी के क्षेत्र में बेहतरीन काम कs रहsल रविश कुमार सानू जी के बारे में…
रविश कुमार सानू जी के जनम मशरक में भइल रहे। इनकर गाँव मूल रूप से एकमा मुकुंदपुर में बाटे। इनकर बाबूजी के नाम श्री मनन देव सिंह आ माई के नाम श्रीमती उर्मिला देवी सिंह ह। इनकर माई-बाबूजी हमेशा सपोर्ट करत रहलें। सानू जी के बचपन से संगीत के शौक रहे, जब बाबूजी देखले कि उनकर बच्चा के संगीत में बहुत रुचि बा त बाबूजी खूब साथ दिहले। संगीत के प्रारंभिक शिक्षा श्री रामेश्वर तिवारी जी से मिलल। पिताजी के निधन हो गईला के बाद उनकर पारिवारिक स्थिति बहुत खराब हो गईल। एही बीच उनुकर मुलाकात डॉ. जौहर शाफियावादी से भइल जे सानू जी के बहुते सपोर्ट कइले आ आगे बढ़े के राह देखवले। एकरा बाद सानू जी बनारस आ गइले। ओहिजा गुरु प्रदीप श्रीवास्तव से संगीत के शिक्षा लिहलन, आ संगीत के शिक्षा पूरा कइले। आजु उ श्री अवध उच्च विद्यालय सह इंटर कॉलेज चैनपुर मशरक में संगीत के अध्यापक बाड़े।
पुरस्कार विवरन
संगीत के क्षेत्र में इनका के कई गो पुरस्कारो मिलल। दू बेर अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन पटना में , सोनपुर मेला में अंतरराष्ट्रीय मंच से पुरस्कृत 2018 आ 2022 में, बिहार दिवस पs जिलाधिकारी के द्वारा उत्कृष्ट गायन पुरस्कार ,भोजपुरी ग़ज़ल गायन में जौहरे आज़म छतीसगढ़ से शांति पुरस्कार, प्रभात खबर प्रतिभा खोज कार्यक्रम के तरफ से गोपालगंज अम्बेडकर भवन में पुरस्कृत, जय भोजपुरी जय भोजपुरिया संस्था से सम्मानित कइल गइल , एकरे अलावा काइगो पुरस्कार इनका संगीत के क्षेत्र में मिलल बा।
इहे नाहीं, यूट्यूब चैनल पs कई गो गीत आइल बा जइसे यायावरी वाया भोजपुरी पs गजल ‘पिरितिया के हारल’, भजन ‘राधे तेरे चरणों के श्याम तेरे चरणों के’, ‘है रूप अनोखा श्याम सुनर’ आ पारंपरिक छठ गीत ‘ छठी माई के महिमा अपार’ जईसन कई गो गीत बा।
यायावरी वाया भोजपुरी पs गजल “पिरितिया के हारल” रिलीज भइल रहे ।जवन कि यू ट्यूब पs बहुते पसंद कइल गइल। एह गजल में आपन बेहतरीन गायकी से सबके मन मोह लिहले।
इन्हांके जबे मउका मिलेला समय-समय पs लोकगीत पs आधारित सगरी कार्यशाला में भाग ले के कुछ ना कुछ सीखे के कोशिश करीले आ लइकन के संगीत के ओर अग्रसर करीले।
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