मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि आ शाही इदगाह विवाद पे इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष के झटका लागल बा। दरअसल हाईकोर्ट शाही इदगाह ट्रस्ट आ सुन्नी वक्फ बोर्ड के याचिका के खारिज क देले बिया आ ओकरा संगे मथुरा के जिला जज से पूरा मामला के नयका सुनवाई करे के कहले बिया। हाईकोर्ट के ई आदेश सोमार (1 मई 2023) के आइल बा।
दरअसल भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के ओर से मथुरा जिला न्यायालय में याचिका दायर भईल रहे। एह याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि आ शाही इडगाह के पूरा भूमि के श्री कृष्ण विराजमान के नाम पे घोषित करे के मांग कइल गइल। एह याचिका के स्वीकार करत जिला अदालत मुकदमा शुरू करे के फैसला कइले रहुवे। शाही इदगाह आ यूपी सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड एह फैसला के खिलाफ हाईकोर्ट में गोहार लगवले रहुवे।
एह पे फैसला देत इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश पड़िया कहले बाड़न कि एह मामिला में फैसला पहिलहीं आ गइल बा, ओकरा में दखल ना दिहल जा सकेला। एकरा संगे कोर्ट मथुरा जिला अदालत के ए मामला के सुनवाई के नयका से शुरू करे के आदेश देले बिया। बताईं कि शाही इदगाह आ सुन्नी वक्फ बोर्ड के याचिका के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के तरफ से मथुरा कोर्ट में दायर मामिला पे रोक लगा दिहले रहुवे। हालांकि कोर्ट के फैसला के बाद इ प्रतिबंध भी हटा दिहल गईल बा। लेकिन, अब मथुरा जिला अदालत के एक बेर फेरु से दुनो पक्ष के दावा पे शुरू से सुनवाई करे के होई।
का ह पुरा मामिला
रउरा सभे के बता दी कि, श्री कृष्ण जन्मभूमि के ई मामला अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि के मामला से मिलत जुलत बा। दावा कईल जाता कि भगवान श्रीकृष्ण इहाँ बईठल बाड़े आ मुगल सम्राट औरंगजेब इहाँ के मंदिर के गिरा देले रहले आ इहाँ मस्जिद के निर्माण करा देले रहले। साथही मुस्लिम पक्ष एकर विरोध कर रहल बा। इ पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक से जुड़ल बा। वर्तमान में भगवान श्री कृष्ण विराजमन के लगे 10.9 एकड़ जमीन के मालिकाना हक बा। बाकी जमीन पे शाही इदगाह के कब्जा बा।
एकरा बारे में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के ओर से मथुरा कोर्ट में केस दर्ज करावल गईल। एह मामला में 20 जुलाई 1973 के फैसला के रद्द क के कटरा केशव देव के जगह 13.37 एकड़ जमीन श्री कृष्ण विराजमन के नाम पे घोषित करे के मांग कईल गईल। श्री कृष्ण विराजमन कहले कि जमीन के लेके दुनो पक्ष के बीच समझौता भईल बा। उपरोक्त समझौता के आधार पे साल 1973 में जवन फैसला दिहल गईल रहे उ एकरा में लागू नईखे, काहेंकी ओ समय इ कवनो पक्षकार ना रहे।