शारदीय नवरात: शारदीय नवरात मे माई के चउथा स्वरूप माँ कूष्मांडा के कहानी, मंत्र आ पूजा विधि
कहल जाला कि जब पूरा दुनिया में अन्हार रहे तब माई कूष्मांडा अपना मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड के रचना कइले रहली। इनके सौरमंडल के देवता मानल जाला। मानल जाला कि नवरात्रि के चउथा दिन माँ कूष्मांडा के पूजा करे वाला लोग के बेमारी आ दोष से मुक्ति मिलेला।
शारदीय नवरात: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा शारदीय नवरात के नौ दिन के, नौ रूप के कहानी| आजु १८ अक्टुबर के शारदीय नवरात मे माई के चउथा स्वरूप माँ कूष्मांडा के बारे मे| आई जानल जा-
शारदीय नवरात : शारदीय नवरात के चउथा दिन १८ अक्टुबर के माई कूष्मांडा के पूजा होई। कहल जाला कि जब पूरा दुनिया में अन्हार रहे तब माई कूष्मांडा अपना मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड के रचना कइले रहली। इनके सौरमंडल के देवता मानल जाला। मानल जाला कि नवरात्रि के चउथा दिन माँ कूष्मांडा के पूजा करे वाला लोग के बेमारी आ दोष से मुक्ति मिलेला। कहल जाला कि जेकरा पs माँ कूष्मांडा खुश हो जाली, ओकरा आठ सिद्धि आ निधि मिल जाला। आईं शारदीय नवरात के चउथा दिन माँ कूष्मांडा के पूजा विधि, मंत्र आ कहानी जानि जा|
माँ कूष्मांडा के कहानी
माँ कूष्मांडा के कहानी में उनके भक्तन के दीर्घायु के आशीर्वाद बा : माँ दुर्गा के एह रूप के कूष्मांडा के नाम से जानल जाला काहे कि ऊ अपना पेट से ब्रह्मांड के रचना कइले रहली। मान्यता के अनुसार शेर पs सवार माँ कूष्मांडा सूर्यलोक में निवास करेली जवन कि कवनो दोसर देवता के क्षमता ना ह। माई कूष्मांडा अष्टभुज धारी हई आ हथियार के साथे माई के एक हाथ में अमृत कलश भी बा। माँ कूष्मांडा अपना दिव्य रूप में बाघ पs सवार बाड़ी।
कुष्मांडा माता के पूजा विधि…
सबसे पहिले नहाए आदि के बाद निवृत्त हो जाइ, एकरा बाद माँ कुष्मांडा के ध्यान कइला के बाद धूप, गंध, अक्षत, लाल फूल, सफेद लौकी, फल, सूखा फल आ उनुका के शुभकामना के चीज अर्पित करीं। एकरा बाद माँ कुष्मांडा के हलवा आ दही चढ़ावे के। माई पे अधिकतम ध्यान दीं। पूजा के अंत में माई के आरती करी।
माता कुष्मांडा देवी के मंत्र🌺
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥🌺
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