शारदीय नवरात स्पेशल: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा शारदीय नवरात के नौ दिन के, नौ रूप के कहानी| आजु १७ अक्टुबर के शारदीय नवरात मे माई के तीसरा स्वरूप माँ चंद्रघंटा के| आई जानल जा-
नवरात्रि के तीसरका दिन माँ चंद्रघंटा के पूजा होला। ई माँ दुर्गा के तीसरा शक्ति ह। तीनों ब्रह्मा, विष्णु आ महेश के शक्ति एह में शामिल बा। अर्द्ध चाँद उनका माथा पे सजल बा, एही से उनका के चंद्रघंटा कहल जाला। उनकर घंटी के आवाज से सब नकारात्मक शक्ति भाग जाला। उनकर रंग सोना जइसन चमकदार बा, शेर पे बइठल बाड़ी। माँ चंद्रघंटा के रूप भक्तन खातिर बेहद फायदेमंद बा। माँ परोपकारी आ शांतिप्रिय मानल जाला। माँ चंद्रघंटा के पूजा कइला से ना खाली रोग से मुक्ति मिल सकेला, बलुक माई प्रसन्न होके सब परेशानी दूर कर देली । अइसना में अगर रउआ तीसरका नवरात्रि के व्रत कs रहल बानी त माँ चंद्रघंटा (माँ चंद्रघंटा पूजा विधि) के पूजा विधि आ कहानी के बारे में जरूर जानीं|
माता चंद्रघंटा के कहानी
लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार माई दुर्गा माँ चंद्रघंटा के अवतार तब लेहली जब राक्षसन के आतंक बढ़े लागल। ओह घरी महिषासुर के भयंकर युद्ध देवता लोग से चलत रहे। महिषासुर देवराज इंद्र के गद्दी पावे के चाहत रहले। ऊ ई युद्ध स्वर्गीय संसार पs राज करे के आपन इच्छा पूरा करे खातिर लड़त रहले। जब देवता लोग के उनकर एह इच्छा के बारे में पता चलल त ऊ लोग परेशान होके भगवान ब्रह्मा, विष्णु आ महेश के सामने पहुँच गइल लोग। ब्रह्मा, विष्णु आ महेश देवता लोग के बात सुन के आपन नाराजगी जतवले आ खिसिया के तीनों के मुँह से ऊर्जा निकलल। ओह ऊर्जा से अवतारित एगो देवी। भगवान शंकर ओह देवी के आपन त्रिशूल, भगवान विष्णु आपन चक्र, इन्द्र आपन घंटी, सूर्य आपन महिमा आ तलवार आ सिंह ओह देवी के दिहले| एकरा बाद माई चंद्रघंटा महिषासुर के मार के देवता लोग के रक्षा कइली।
माँ चंद्रघंटा के पूजन विधि
नवरात्रि के तीसरा दिन भोरे उठ के नहा के पूजा स्थल पे गंडक के पानी छिड़के। ओकरा बाद माँ चंद्रघंटा के ध्यान करीं आ ओकरा सोझा दीप जराईं। अब माता रानी के अक्षत, सिंदूर, फूल आदि चढ़ाईं।एकरा बाद फल आ केसर-दूध से बनल मिठाई आ खीर माई के प्रसाद के रूप में चढ़ावल जाला। फिर माँ चंद्रघंटा के आरती करी। पूजा के बाद कवनो गलती होखे खातिर माफी मांगीं।
मंत्र🌺
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।🌺
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