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भुलाइल-बिसरल एगो श्रमिक नेता रामदेव सिंह के त्याग, तपस्या

विनय बिहारी सिंह के कलम से....

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भुलाइल-बिसरल एगो श्रमिक नेता रामदेव सिंह के त्याग, तपस्या

-विनय बिहारी सिंह

समय का साथे हमनी के स्मृति से बहुत कुछ पोंछा जाला। कुछ ईमानदार, संवेदनशील आ जुझारू श्रमिक नेता लोगन के याद भी समय का साथे हमनीं का भुला जानी जा। अपना-अपना संसार में एतना मशगूल हो चुकल बानी जा कि मन पारल जरूरी नइखे लागत।

 

मजदूर दिवस पर अइसने एगो विस्मृत मजदूर नेता के कुछ प्रसंग सुनीं। एह प्रसंग में हमनी खातिर कई गो प्रेरक आ उत्साहित करे वाली बात बाड़ी सन। हो सकेला रउरा रामदेव सिंह के नांव ना सुनले होखीं। सन 1961- 62 के बात ह, जब रामदेव सिंह रेनुकूट (उत्तर प्रदेश) के हिंडाल्को में नोकरी करे गइले। रेनुकूट में हिंडाल्को में ऊ भर्ती भइले पॉटरूम, फर्निश शाखा में। ओइजा भट्ठी आग उगलत रहली सन। रामदेव सिंह देखले कि लोग अपना के मारि के ओइजा काम करता आ तनखाह बा बहुते कम। का खाईं, का पीहीं, का लेके परदेश जाईं। लोगन के पेटे ना भरी त ऊ जीही कइसे? भट्ठी के कारन लागे कि देहि आग में हरदम जरता। तीस-तीस गो मजदूर एगो कमरा में भेड़-बकरी नियर रहत रहले सन। तनखाह कम, रहे में दुर्गति आ काम हाड़ तूरे वाला, भट्ठी में देंह जरावे वाला। उनुका लागे कि मैनेजमेंट से मजदूरन के दुर्दशा का बारे में कहे के चाहीं। माइयो लइका के तबे दूध पियावेले जब ऊ रोएला। कुछ दिन बाद जब रामदेव सिंह तनखाह बढ़ावे के आ मजदूरन के रहन-सहन के बात कइले त फोरमैन कहलस कि तू काम करे आइल बाड़s कि बहस करे? ऊ अउरी ऊपर के लोगन से बात कइले। जौन अधिकारी सुने ऊहे चिहुंक जाउ। धीरे-धीरे पूरा हिंडाल्को में ई बात फइल गइल कि एगो रामदेव सिंह नांव के लइका भर्ती भइल बा जौन खुद त कामे नइखे करत, दोसरो के भड़कावता। ई बात डायरेक्टर तक पहुंचल। एही बीचे व्यवस्था से त्रस्त कुछ लोग चुपे-चुपे रामदेव सिंह का संगे आ चुकल रहे। काहें से कि घुटन वाला माहौल त रहबे कइल। मैनपावर बढ़े के चाहीं, कम तनखाह में दुगुना, तिगुना काम रहे। अघोषित नियम रहे कि खाना खातानी आ बिजली आ गइल त खाना छोड़ि के ड्यूटी करीं। ईहो एगो फजिहत रहे। अधिकारी रामदेव सिंह के समुझवलs सन कि तोहरा नोकरी मिल गइल बा, अब दादागिरी मत करs। ई बिड़ला के फैक्ट्री ह। जब तोहार औकात करोड़न के होई तब अइसन गरमी देखइहs। अभी चुपचाप नोकरी करs।

 

रामदेव सिंह के मजदूरन के दुख देखल ना जाउ। कुल मजदूर कुंहुंकत रहले सन। ऊ अधिकारियन से बार-बार अपील करे लगलन। अधिकारी कहलन स कि ई लड़िका त बड़ा कानूनची बा। एकरा के चार्जशीट देके नोकरी से निकाल देबे के चाहीं। अधिकारी एपर मीटिंग कइले सन आ आखिरकार रामदेव सिंह के चार्जशीट दे दिहल गइल। रामदेव सिंह क्रोध में ओह चार्जशीट के सबका सामने अपना सिगरेट से जरा दिहले। अब का कइल जा सकेला? त दोसर एगो अधिकारी कहलस कि अभी त रामदेव सिंह के नोकरी के छवो महीना नइखे भइल। उनुका के बिना नोटिस के भी निकालल जा सकेला। बाई फोर्स निकाल दिहल जाउ।

अगिला दिने ऊहे भइल। रामदेव सिंह ड्यूटी करे खातिर ज्यों हिंडाल्को फैक्ट्री के गेट पर ढुके के रहले तले कुल सिक्यूरिटी वाला आके उनुका के रोक दिहले स। कहले सन कि रउरा के नोकरी से निकाल दिहल गइल बा। घरे जाईं। अब हिंडाल्को से राउर कौनो नाता नइखे। ओने ई बात फैक्ट्री के भीतर के मजदूरन के पता चलि गइल। ऊ गेट पर आके रामदेव सिंह जिंदाबाद के नारा लगावे लगलन स। ओही क्षन से रामदेव सिंह मजदूर नेता के रूप में रूपांतरित हो गइले। देखल जाउ त हिंडाल्को के पहिला मजदूर नेता रहले रामदेव सिंह। अगिला दिने कुल मजदूर फैक्ट्री में हड़ताल क दिहले सन। फेर रामदेव सिंह जिंदाबाद के नारा लागल। ईहे नारा अब रोज लागे लागल। मैनेजमेंट ताकतवर रहे। लेबर कमिश्नर से बात कके कंप्रोमाइज क दिहलस। कुछ मजदूरन के डरा-धमका के काम पर वापस बोला लिहल गइल। सवा सौ जिद्दी मजदूरन के नोकरी से निकाल दिहल गइल।
एह आंदोलन के आगा बढ़ावे खातिर कौनो बड़ नेता के जोड़ल बहुते जरूरी रहे। रामदेव सिंह बनारस के प्रभुनारायण सिंह से भेंट कइले जौन राजनीति प्रभाव वाला रहबे कइले, बहुत बड़ वकील भी रहले। प्रभुनारायण सिंह रेनुकूट अइले। उनुका के मजदूर यूनियन के प्रेसिडेंट बना दिहल गइल आ 21 लोगन के कार्यसमिति बनल। प्रभुनारायण सिंह एह मामला के ओह घरी के बड़का नेता राजनारायण का लगे पहुंचा दिहले। ई ऊहे राजनारायण हउवन जौन इंदिरा गांधी के चुनाव के हाईकोर्ट में चैलेंज कइले आ उनका क मोकदमा में हरा दिहले जौना कारन से देश में आपातकाल लागू भइल रहे। ओहघरी प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री रहले। उनकरो से भेंट कके मदद के आश्वासन लिहल गइल। ऊ कहले कि ताशकंद जातानी, लौट के आइब त एकरा पर कुछ करब। मीटिंग के टाइम तक तय हो गइल रहे। बाकिर लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में मृत्यु हो गइल।

एने रामदेव सिंह आंदोलन तेज क देले रहले। उनका से भेंट करे खातिर रेनुकूट में राजनारायण के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, जार्ज फर्नांडीज, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया आ अउरी कई गो महत्वपूर्ण राजनीतिक लोग आवे। एही बीच में पता चलल कि मैनेजमेंट रामदेव सिंह के हत्या करावे खातिर 12 गो गुंडा बोलवले बा। ई गुंडा उनका पर नजर राखतारे सन। हिंडाल्को के खुफिया विभाग अलग से रामदेव सिंह के पल-पल के खबर राखता। संघर्ष लंबा चलल- 14 साल। पाकेट में एको पइसा ना बाकिर सहयोग सबकर रहे। आखिरकार संघर्ष के फल मिलल। नोकरी से जे निकालल रहे ओकरा के फेर नोकरी दिहल गइल। रामदेव सिंह के नोकरी बहाल भइल। बाकिर ई संघर्ष बहुत कठिन रहे। कमजोर आदमी त टूट जाइत। बिना तनखाह के जीवन यापन, लखनऊ आ दिल्ली के यात्रा।

 

अब रउरा पूछ सकेनी कि एह कथा में बिसेस का बा? रामदेव सिंह चहिते त चुपचाप नोकरी करिते, अपना लइकन के पढ़इते लिखइते आपन कैरियर बनइते। मजदूरन के दुख पर आपन ध्यान ना केंद्रित कके थोरहीं तनखाह में काम चलइते आ शांति से रहिते। बाकिर कहल जाला नू कि जे लोकहित खातिर जनम लेला ओकरा आपन सुख नीक ना लागे। चौदह साल धूल फांकि के, जाड़ा, गरमी आ बरसात के ख्याल ना कके मजदूरन के दशा- दिशा सुधारे खातिर घर-परिवार के सुधि ना लिहले, ई कम त्याग बा? कहां मिली अइसन ईमानदार नेता जौन खाली अपना सिद्धांत खातिर लड़त होखे? मजदूरन के हित कंप्रोमाइज ना करत होखे? हालांकि ओहघरी के नेता लोगन के भी प्रणाम बा, जौन मजदूरन के दुख-दर्द के आपन दुख-दर्द मानल लोग। पुरान नेता लोगन के एही से कई बार याद आवेला। ओह लोगन खातिर राजनीति धंधा ना रहे, सेवा रहे।

 

भुलाइल-बिसरल रामदेव सिंह के पिछला 14 अप्रैल के निधन हो गइल। उनकर बेटा प्रसिद्ध गीतकार, लेखक, संपादक, फिल्म समीक्षक मनोज भावुक बतवले कि रेनुकूट में उनका पिता जी रामदेव सिंह के याद में एगो श्रद्धांजलि सभा भइल ह, जौना में सब रामदेव सिंह के लौह पुरुष, जुझारू आ परहित के महत्व देबे वाला मजदूर नेता के रूप में याद कइल गइल ह। ईहे परहित वाला व्यक्तित्व आजकाल दुर्लभ होखल जाता। परहित, दोसरा के हित के महत्व देबे वाला।

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