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Rabindranath Tagore Quotes: गांधी के ‘महात्मा’ कहे वाला टैगोर के पुण्यतिथि आजु, जानि उनकर लिखल प्रेरक बात

रवीन्द्रनाथ टैगोर के गुरुदेव के नाम से भी जानल जाला। भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन अधिनायक' उनकर रचना ह। बांग्लादेश के राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी उनकर रचना ह।

2,009
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Rabindranath Tagore Quotes : रवीन्द्रनाथ टैगोर अइसन व्यक्तित्व हउवें जिनकर नाम शायद देश के हर लइका जानत बा। राष्ट्रगान ‘जन गण मन अधिनायक’ के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के आजु 80वीं पुण्यतिथि ह। 7 अगस्त 1941 के ऊ एह दुनिया के छोड़ दिहलें। ऊ एगो बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्तित्व के मालिक रहले। टैगोर कविता, साहित्य, दर्शन, नाटक, संगीत आ चित्रकला समेत कई विधा सभ में प्रतिभा के परिचय दिहलें।

टैगोर महात्मा गांधी के बहुत सम्मान करत रहले। हालांकि कई बेर अयीसन भईल बा जब बहुत विषय प दुनो के बीच मतभेद भईल बा। टैगोर के दृष्टिकोण अधिका तार्किक रहे| इहे टैगोर रहले जे गांधी के महात्मा के उपाधि दिहले रहले अवुरी महात्मा गांधी रवींद्रनाथ के ‘गुरुदेव’ के उपाधि देले रहले।

रवीन्द्रनाथ टैगोर के प्रेरक बात

• कवनो बच्चा के ज्ञान के अपना ज्ञान तक सीमित मत राखीं काहे कि ओकर जनम कवनो दोसरा समय में भइल बा।

• मउत प्रकाश के ख़तम कइल ना ह; ई त बस भोर में दीप बुझावे खातिर ह।

•कलाकार प्रकृति के प्रेमी ह, एहसे ओकर गुलाम के संगे ओकर मालिक भी बा।

•खाली खड़ा होके पानी के टकटकी लगा के देखले से नदी पार ना हो सकेला।

•प्यार अधिकार के दावा ना करेला बल्कि आजादी देला।

•हमनी के दुनिया में तब जिएनी जा जब हमनी के एह दुनिया से प्यार करेनी जा।

•सब गलती के दरवाजा बंद कर देब त सच्चाई बाहर रह जाई।

•जब हमनी के विनम्र होखेनी जा त हमनी के महानता के सबसे नजदीक होखेनी जा।

• रउरा कवनो फूल के पंखुड़ी तोड़ के ओकर सुंदरता ना जुटावेनी।

•सपना देखनी कि जिनगी आनंद ह। जाग गइनी त पाता चलल कि जिनिगी सेवा ह। सेवा कइनी आ पावल कि सेवा में आनंद होला।

रवीन्द्रनाथ टैगोर के जनम 7 मई 1861 के कोलकाता में भइल रहे। 13 भाई-बहिन में उ सबसे छोट रहले। उनकर बाबूजी उनकर ख्याल रखले। बचपन से ही लेखन के बहुत शौक रहे। आठ साल के उमिर से कविता के रचना शुरू कइलें। बाद में टैगोर देश के एगो महान कवि, उपन्यासकार, नाटककार, चित्रकार आ निबंधकार बन गइलें।

साल 1980 तक टैगोर कई गो उपन्यास, कविता आ कहानी लिखले, जवन बंगाल के कई गो प्रकाशक लोग द्वारा भी प्रकाशित कइल गइल। एकरा बाद रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल में काफी मशहूर हो गईल रहले। उनकर रचना के चलते सभे उनका के जाने लागल। टैगोर अपना लेखन के माध्यम से समाज के गलत रीति रिवाज आ कुप्रथा के बारे में भी लोग के जागरूक कइले।

 

 

 

 

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