Moti B.A: जयंती पs शिद्दत से याद कइल गईले मोती बीए, मोती बीए के आत्मकथा के भईल विमोचन
बरहज: मंगल(१ अगस्त)के साँझी के नंदना पश्चिमी वार्ड स्थित मोती बीए के पैतृक आवास में उनुकर जयंती मनावल गइल। जवना में कवि, साहित्यकार, गीतकार, फिल्मकार आ अउरी साहित्यकार लोग भाग लिहले आ बहुते स्नेह से उनुका के याद कइले ।
सबसे पहिले जयंती पs मुख्य गिरिधर करुण, सरदार दिलावर सिंह, इंद्रकुमार दीक्षित आदि उनके चित्र पs श्रद्धासुमन अर्पित कइले। मुख्य अतिथि गिरिधर करुण कहले कि मोती बीए शिक्षा के संगे रुपहले पर्दा पs अमिट छाप छोड़ले बाड़े।
उहां के विश्व पटल पs भोजपुरी के पहचान देले बानी। मोती बीए के पुत्र भालचंद उपाध्याय जी अपना पिता के स्वरचित कविता आई हो रामा…, सुशील उपाध्याय जी कविता ससुरा से नैहर जाइब…. कार्यक्रम के दौरान अंजनी उपाध्याय, रमेश तिवारी अनजान, रामविलास प्रजापति, कैलाश पति मिश्र पहाड़ी, दुर्गेश विश्वकर्मा, डॉ. संकर्षण मिश्र, हर्ष द्विवेदी, सुधाकर मणि त्रिपाठी, महेंद्र शास्त्री, विश्वनाथ त्रिपाठी, छांगुर त्रिपाठी, डॉ. महेंद्र नाथ आदि मौजूद रहले! ।
मोती बी. ए बरहज के अनमोल धरोहर
अगस्त 1919 में बरेजी में जनमल मोती बीए के पिता के नाम राधाकृष्ण उपाध्याय आ महतारी के नाम कौशल्या रहे। 1936 से 2000 ले भोजपुरी, उर्दू, अंग्रेजी में गीत, गजल, कविता, निबंध, अनुवाद, आत्मकथा, नाटक आदि के रचना कइनी। कुल मिला के उहाँ के 60 गो किताब के रचना कइले बानी। जवना में से 10 गो किताब छपत बाड़ी स। 1939 से 1943 तक अग्रगामी, आज, संसार और आर्यावर्त अखबारन के संपादकीय विभाग में मूर्धन्य पत्रकार बाबूराव विष्णु, पराडकर आ सचिन्द्रनाथ शान्याल के सहायक के रूप में काम कइलें। 1943 से भारत रक्षा अधिनियम के तहत वाराणसी के चेतगंज थाना केंद्रीय जेल में घर में बंदी में रखल गईल। 1944 से 1952 ले फिलिमन में गीत लिखले। एकर श्रेय उनुका के जाला कि ऊ पहिला बेर गीतन के फिलिमन में ले अइले। जवन फिल्मीस्तान लिमिटेड मुम्बई के फिल्म नदिया के पार में लिखल गइल रहे, एकर नायक दिलीप कुमार आ नायिका कामिनी कौशल रहली। उनुका के पहिला भोजपुरी जोगीरा फिलिम ले आवे के श्रेय दिहल जाला जवना के 1952 में राजपूत फिलिमन में राखल गइल रहे आ सुरैया आ जशराज पs फिल्मावल गइल रहे। मेन इन माकर गीतकार के रूप में बा। कैसे कहूं, साजन सिन्दूर, रिमझिम, सुभद्रा, वीर रामबाण, काफिला, भक्त ध्रुव, किसी की याद, हिप हिप हुर्रे उर्फ चौबे जी इन्तजार के बाद, अमर आशा, के बाद अमर आशा। ओहमें से एगो रहले गजब भयो रामा। आकाशबाणी मुम्बई, लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर से प्रकाशित कइले बानी। 1952 से 1980 ले श्री कृष्णा इंटर कॉलेज इतिहास, अंग्रेजी आ तर्कशास्त्र के व्याख्याता के रूप में काम कइले।
उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग से आदर्श शिक्षक के रूप में पुरस्कृत कइल गइल। राहुल सांकृत्यायन के पुरस्कार उनुका किताब समिधा पर मिलल बा। 2002 में भोजपुरी के योगदान खातिर साहित्य अकादमी पुरस्कार दिहल गइल बा। उहाँ के लिखल मुख्य किताबन में इतिहास का दर्द, सेक्सपीयर का सानेट का हिन्दी पद्यानुवाद, मधुतृष्णा, कवि और कविता, छमछम पायल बाजे, हरसिंगार के फूल, मेघदूत का भोजपुरी पद्यानुवाद इत्यादि । भोजपुरी पुस्तकन में सेमर के फूल, मोती के मुक्तक, वन वन बोलेले कोयलिया, ऊर्दू में रश्के गुहर, दर्द ए गुहर, एक शायर, अग्रेजी पुस्तकन में लव एण्ड व्यूटी इन वेल, के भोजपुरी अनुवाद आदि बा। उनकर नाटक मातृ मंदिर, प्रेम प्रेम है आ स्नेह की बसुरियाँ आजुओ अप्रकाशित बा। राज्य साहित्यिक पुरस्कार, भोजपुरी रत्न उपाधि, श्रुतिकीर्ति सम्मान, सेतुसम्मान, भाषा सम्मान, किसलय सम्मान, सरयू रत्न सम्मान, सांस्कृतिक संस्थान गोरखपुर द्वारा संस्कार भारती सम्मान, भोजपुरी रत्न अलंकरण के उपाधि कवि रत्न के उपाधि, विद्यासागर सम्मान, कवि चूड़ामणि के उपाधि, आनन्द सम्मान, काव्य भूषण , जइसन कइ गो सम्मान मिलल बा। जेएनयू आ काशी विद्यापीठ आ गोरखपुर विश्वविद्यालय में उनकर रचना पs शोध के काम भी भइल बा ।
मोती बीए के 104वीं जयंती समारोह में मोती बीए, ‘आप का मोती’ के महत्वपूर्ण लोग के लिखल चिट्ठी के संकलन के साथे अन्य सामग्री भी विमोचन कइल गइल। एकरा अलावे मोती बीए के आत्मकथा के दूसरा भाग पेश कईल गइल। कार्यक्रम के दौरान मोती लाल कल्याण सेवा ट्रस्टी के सम्मान दिहल गइल, संगही उनुका याद में दिवंगत साहित्यकार के नाम पs स्मृति चिन्ह दिहल गइल।
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