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मातृभासा दिवस आज, भोजपुरी के संविधान के आठवीं अनुसूची में जगह दिअवले खातिर लगातार हो रहल बा कोसिस

पिछले पांच दसकन से करोड़न भोजपुरिया लोग एगो आस लगवले बइठल बा कि 'भोजपुरी के संवैधानिक दरजा मीले, एके संविधान के आठवीं अनुसूची में सामिल कइल जाय। अफसोस के बात बा कि अबले ई आस पूजि नाइ पवले बा

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का होला मातृभासा

मसहूर भासा बैज्ञानिक नौम चोम्स्की कहले रहनें कि भासा हमनीं के अस्तित्व का जर में बा| अपने मातृभासे में हम सबसे निम्मन सोच, समझ अउर कहि सकेनीके। महात्मा गांधिओ मातृभासा के ओर कृतग्य होखे के बात कहले रहनें| हिंदी के उद्धार करे आला भारतेंदू बाबू हरिश्चन्द्र त कहलही रहनें ‘बिन निज भासा ज्ञान के, मिटे न हिय के शूल’| दुनिया भर में 21 फरवरी के “अंतर्राष्ट्रीय मातृभासा दिवस” मनावल जाला| ए दिन के मनवले के कारन दुनिया भर में अपना भाषा के संस्कृति के प्रति लोग में रुझान पैदा कइल अउर जागरुकता फइलावल रहल| अंतर्राष्ट्रीय मातृभासा दिवस मनवने के बिचार सबसे पहिले बांग्लादेश से आइल| सजुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक अउर सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सामान्य सम्मेलन  17 नवंबर 1999 में मातृभासा दिवस मनवले के घोषना कइलस| जेमें फसिला लीहल गइल कि 21 फरवरी के अंतर्राष्ट्रीय मातृभासा दिवस के रूप में मनावल जाई|

सांविधानिक दर्जा के असरा में भोजपुरी, लमसम पचास बरिस से बस आंदोलन अउर अगोरा

पिछले पांच दसकन से करोड़न भोजपुरिया लोग एगो आस लगवले बइठल बा कि ‘भोजपुरी के संवैधानिक दरजा मीले, एके संविधान के आठवीं अनुसूची में सामिल कइल जाय। अफसोस के बात बा कि अबले ई आस पूजि नाइ पवले बा| दुसरका कई देस एके मान्यता दे देहले बानें सब लेकिन अपना देस में अबले भोजपुरी कगरिआवल बा। पिछला आम चुनाओ में ई एगो मुद्दा रहल, त एहू चुनाव में करोड़न भोजपुरिआ भाषी अपना अस्मिता से जोर के देखत बा। चल रहल ई आंदोलन भोजपुरी भाषा के संवैधानिक दरजा दियवले खातिर पिछला पचास बरिस से आंदोलन चल रहल बा। सड़कि से लेके संसद ले अपना ए मांग के लेके भोजपुरी बोले आला लोगओ आपन बात रखले बा।

 

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