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शहीद दिवस आज; आजे के दिन 1931 में भगत सिंह, शिवराम राजगुरु आ सुखदेव थापर के देहल गइल रहे फांसी

आजे का दिने 1931 में भगत सिंह, राजगुरु आ सुखदेव के अंग्रेजी हुकुमत फांसी देले रहे....

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MARTYR’S DAY 2022:  23 मार्च के दिन भारत के आजादी के लड़ाई के इतिहास में बहुते आदर आ गरब से लिहल जाला। 23 मार्च 1931 के दिन रहे, भगत सिंह, शिवराम राजगुरु आ सुखदेव थापर देस के आजादी के सपना लेले मुस्कात फांसी के फंदा के चूम लेले रहे लो। फांसी से कुछे घंटा पहिले भगत सिंह अपना साथियन के चिट्ठी लिखले रहस जवना में रहे-

जाहिर अस बात बा कि जिये के इक्षा हमरो होखे के चाहीं। हम एकरा के छिपावहु के नइखी चाहत। आज एगो सर्त पs जिंदा रह सकत बानी। अब हम कैद भा पाबंदी में रहके जियल नइखी चाहत। हमार नाव हिन्दुस्तानी क्रांति के प्रतीक बन चुकल बा। क्रांतिकारी दलन के आदर्श आ कुरबानी हमरा के बहुते ऊपर उठा देले बा। एतना कि जियत रह के हम एकरा से ऊंच हम हरगिज नइखी हो सकत।

अइसन महान क्रान्तिवीरन के खबर भोजपुरी परिवार आ समूचा देस बेर-बेर नमन कs रहल बा….

हंसते-हंसत चुमले रहे लो फांसी के फंदा

जवना दिने भगत सिंह, राजगुरु आ सुखदेव के फांसी देहल जाये के रहे, ओहु दिन ऊ लो मुस्कुरात रहे। तीनों लोग एक दोसरा के गर से लगावल। जेल में बन हर कैदी के ओह दिन आँख भींज गइल रहे। तीनों क्रांतिकारियन के पहिले नहवावल गइल आ ओजन कइल गइल। सजा के एलान का बाद भगत सी सिंह के ओजन बढ़ गइल रहे। अंतिम में तीनों क्रांतिकारी मुस्कुरा के फंडा के चुमल लो आ देस के आजादी ला खुद के नेवछावर कs दिहल लो।

 

भगत सिंह का बारे में जानीं 

मात्र 23 बरिस के उमिर में देस पs आपन जान क़ुरबान करे आला भगत सिंह के जनम पंजाब के लायलपुर के बंगा गांव में 28 सितंबर 1907 के भइल रहे। भगत सिंह जवन आजादी के सपना खातिर ताउम्र संघर्ष कइलन उ जब आइल तs उनका शहीद होखला 16 साल 4 महीना आ 23 दिन हो चुकल रहे। बाकिर भगत सिंह के सपना के भारत कइसन  होखे एकरा बारे में ऊ बहुत कुछ लिख देले रहस।

दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में HINDUSTAN SOCIALIST REPUBLICAN ASSOCIATION के स्थापना के समे भगत सिंह कहले रहस- ” हमनी के लक्ष्य खाली भारत के आजादी नइखे। आजादी के माने ई ना हो सकेला कि अंग्रेज़ भारत छोड़ के चल जाव लो, बलुक आजादी के माने बा एगो शोषण से मुक्त समाज, एगो अइसन बेवस्था जवना में मानव के द्वारा मानव के शोषण ना होखे।”

भगत सिंह के नाव वीर क्रांतिवीरन के ओह सूची में सबसे ऊपर लेहल जाला, जे अपना देस के लोगन के आजादी खातिर संघर्ष करे ला जगावे खातिर अपना के आगा कइल आ दिल्ली के सेंट्रल असेंबली में 8 अप्रिल 1929 के बम फेकल आ बटुकेश्वर दत्त के संगे आजादी के नारा लगावत आपन गिरफ्तारी देले रहस। जेल के दिनन में उनकर भूख हड़ताल के सोझा अंग्रेज़ प्रशासन के झुके के पड़ल रहे।

राजगुरु का बारे में जानीं

शिवराम हरि राजगुरु के जनम पुणे के खेड़ गांव में 24 अगस्त 1908 में भइल रहे। राजगुरु के ऊपर भगत सिंह आ चंद्रशेखर आजाद के बहुत जादे विस्वास रहे। कहल जाला कि राजगुरु जब कबो कवनो योजना बने तs ऊ अपना आप के सबसे आगा राखे ला आजाद तक से बहस कs लेस, बाकिर कबो आजाद के आदेस के खिलाफ ना जाइल करस।

राजगुरु के जोगदान भगत सिंह आ चंद्रशेखर आजाद के संगे लाला लाजपत राय के मौत के बदला लेवे में बहुते खास रहे। 1928 में लाहौर में अंग्रेजी नीतियन के विरोध करत लाला लाजपत राय पs अंग्रेजी हुकुमूत लाठी से वार कइले रहे, जवना के असर से कुछे दिन बाद लाला जी के मौत हो गइल रहे। एकरा बदला में ई लोग मिल के सांडर्ष के हत्या कइल, जवना के मारे में पहिलका गोली राजगुरु के बंदूक से निकलल रहे।

सुखदेव का बारे में जानीं

सुखदेव थापर के जनम 15 मई 1907 के लुधियाना में भइल रहे। उनकर देस के आजादी में अतुलनीय जोगदान रहे। 1929 के जेल हड़ताल में उनकर जोगदान भगत सिंह के संगे बहुते खास रहे। दिल्ली सेंट्रल असेंबली में बम फेंके के बेरा जब क्रांतिकारियन के चुनल जात रहे तब ऊ भगत सिंह के नाव के विरोध कइले रहस आ उनका जगे खुद के जाये खातिर अंतिम ले कोसिस कइले रहस। कहल जाला कि ऊ भगत सिंह के बात मान के आपन जिद छोड़ तs देले रहस बाकिर उनका मन में भगत सिंह ला अपना के क़ुरबान करे के इक्षा हमेसा रहल। उनकर ई इक्षा पूरा तs ना भइल बाकिर जब भगत सिंह के फांसी भइल तs ऊ उनका संगे फांसी के फांसी के फंदा पs झूले ला मवजूद रहस।

फांसी लागे कुछ दिन पहिले ऊ महात्मा गांधी के पत्र लिखले रहस, जवना में ऊ लिखले रहस “लाहौर षड्यंत्र के तीन कैदियन के फांसी के सजा सुनावल गइल बा। ऊ इहों लिखले- देस में ओह लो के अपराधी ठहरवला से ओतना बदलाव ना आई, जेतना ओह लो के फांसी देला से आई।”

आजादी के एह दिवाना लोगन खातिर ओइसे तs एगो दिन विसेस पs इयाद कइल नाकाफी बा बाकिर, क्रांतिवीरन के जोगदान के बतावल आ जनावल ओह नवहा पीढ़ी ला बहुत जरूरी बा जवन आज खुलल आ आजाद हवा में सांस ले रहल बा। बेर-बेर नमन….

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