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बुधवारी बईठकी: भोजपुरिया समाज आउर आज के स्त्री विषय पs डॉ॰ सुप्रिया पाठक रखनी आपन विचार

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यायावरी वाया भोजपुरी के हर हफ्ता होखे आला बुधवारी बइठकी में बुध के डॉ॰ सुप्रिया जी (स्त्री अध्ययन विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविधालय, वर्धा) से “भोजपुरिया समाज आ आज के स्त्री” विषय पs बतकही के डॉ॰ क्षमा त्रिपाठी जी संचालन कइनी। एह बइठकी के सजीव प्रसारण यायावरी वाया भोजपुरी के फेसबुक पेज पs भइल।

स्त्री के इस्तिथी में बदलाव भइल बा बाकिर महिला के आजो दायरा में बांहल जाला 

अपना बात के राखत डॉ॰ सुप्रिया जी कहनी कि आज के जुग में स्त्री लो के इस्तिथी में पहिले का तुलना में बहुत बदलाव भइल बा। उहां के कहनी कि हमरा इयाद बा कि जब हमनी के पढे के उमिर रहे तब गांव आ समाज कहे कि पढ़ावत बाड़ लो, देखिहs लो हाथ से ना चल जाव। उहां के इहों कहनी कि हम अपना गांव के पहिलका मैट्रिक आ ग्रेजुएट लईकी हई। आज हमरा गांव में पचासन गो लईकी ग्रेजुएट बा लो। गांव से बहरी शहर जाके पढ़ाई लिखाई आ भविष्य के निर्माण में जुटल बा लो। एह से हमरा ई कहे में तनिकों संकोच नईखे कि आज स्त्री के इस्तिथी पहिले से बहुते सुधरल बा। बाकिर आजो स्त्री के कुछ दायरा तय कइल जाला जइसे कि खाना बनावल, कपड़ा धोवल, घर के आउर काम कइल। उहाँ के कहनी कि ई सब एगो कला हs आ ई सभका के आवे के आ करे के चाहीं। असली बदलाव तब होई जहिआ घर के काम ला स्त्री के संगे मरद एकरा के आपन जिम्मेवारी बुझ के ठाड़ होई लो।

चुनाव में महिला लोगन के भागीदारी आ पद के जिम्मेवारी निभावे के असल इस्तिथी पs डॉ॰ सुप्रिया जी के विचार 

एगो सवाल के जबाब में आपन राय देत उहां के कहनी कि आज के दौर में चुनाव में महिला लोगन के कोटा फिक्स बा। आज कुछ महिला लो जरूर अपना से एह जिम्मेवारी के निभावत बा लो बाकिर अभियो चुनाव जितला के बाद अधिकतर काम या तs ओह लो के मरद करेला भा घर-परिवार के लोग करेला। आज जरूरत बा कि खाली चुनाव जीतले भर के ना ओकरा बादो महिला लो अपना पद के जिम्मेवारी खुद से उठावे लो।

भोजपुरी भाषा ना बलुक पोपुलर कल्चर के कुछ गाना अश्लील बा 

एगो सवाल के जबाब देत डॉ॰ सुप्रिया पाठक जी कहनी कि भोजपुरी भाषा के अश्लील कहे के कहीं से सवाले पैदा नइखे होखत। भोजपुरी के पोपुलर कल्चर के गाना अश्लीलता के बढ़ावा देला आ ओकरा के एतना प्रचारित कइल जाला कि लोग भोजपुरी के अश्लील कहे लागेला। आगे बोलत उहां के कहनी कि जरूरत बा कि भोजपुरी के नाया पीढ़ी एह बात के समझे आ बेसी से बेसी निम्मन भोजपुरिया समाज के रूप आ रंग लोगन के सोझा आवे, जवना से लोग भोजपुरी के विरासत आ धनिक संस्कृति से परिचित हो सको।

डॉ॰ सुप्रिया पाठक जी आपन विचार राखत कहनी कि भोजपुरिया समाज के स्त्री लो के इस्तिथी में पहिले से बहुत सुधार बा, आज पढे लिखे बोले आ आपन बात राखे के आजादी बा, बाकिर आज जरूरत बा कि समाज स्त्री के दायरा में ना बांहों बलुक ओकरा कला, ओकर छमता आ प्रतिभा के उचित स्थान देवे।

 

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