मां भगवती महिषासुर दैत्य के बध कs के अत्याचार से मुक्ति दिलवले रही
पिपरौली-गीडा (दीपक त्रिपाठी): स्थानीय कस्बा में चल रहल शतचंडी महायज्ञ मे देवी भगवती के कथा सुनावत कथा व्यास मधुसूदनाचार्य देवी जगत जननी जगदम्बा के अवतरण के प्रसंग सुनावत कहनी कि
रंभ नाव के एगो असुर रहे। जवन अग्निदेव के तपस्या से एगो बेटा के प्राप्त कइले रहे। जवन एगो महिषी माने भईस से उत्पन्न भइल रहे। ऊ महिषासुर कहाइल। असुर महिषासुर वरदान के कारण जब चाहे मनुष्य आ भईस के रूप प्राप्त कस लेत रहे। ई राक्षस ब्रह्माजी के तपस्या कs के वरदान पा लेले रहे कि कवनो मेहरारुए ओकर अंत कs सकत बिया। एहिसे ऊ देवता लो खातिर अजेय बनल बइठल रहे। जवना से
महिषासुर के कारने देवता आ मनुष्य सभे भयभीत रहे लागल। एने रोजे महिषासुर के अत्याचार बढ़े लागल।
सभे देवी देवता के चिंता होखे लागल। महिषासुर के बध खातिर सभे देवी देवता लो आपन एकहगो तेज के मिलाके एगो तेजोमय शक्ति के प्रकट कइल। उहे देवी मां दुर्गा के नाम से अवतरित भइल। सभे देवी देवता आपन अस्त्र-शस्त्र से देवी के सुसज्जित कइल। माता भगवती आ महिषासुर के बीचे भीषण युद्ध भइल। जेमे महिषासुर के माता दुर्गा के हाथों बध भइल। चारो तरफ मां भगवती के जय जयकार होखे लागल।
एह अवसर पs अरविंद कुमार गुप्त, राजाराम निगम , संदीप निगम, मीरचंद निगम, रघुवीर मद्धेशिया, जयहिंद, देवी शरण, कौशल निगम आदि भारी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहल लो।
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