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Dhanteras 2022: धनतेरस प सोना किने के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत पूरा डिटेल इहां पढ़ीं 

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Dhanteras 2022 Shubh Muhurat: धनतेरस के संगही दिवाली उत्सव के शुरुआत हो जाला। मान्यता बा एह दिन विधि विधान से कइल गइल पूजा अर्चना से घर परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि के वास बन रहल बा। जानीं धनतेरस के पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती, महत्व जानीं।

धनवंतरी पूजा विधि

धनतेरस के दिने घर के सफाई क के सबेरे नहा धोआ के साफ कपड़ा पहिन लीं।

एकरा बाद षोडशोपचार विधि से देवता धनवंतरी देव के पूजा करी, माता लक्ष्मी के पूजा करी।

एकरा बाद भगवान धनवंतरी आ मां लक्ष्मी के आरती करी आ प्रसाद सबका में बांटी।

सांझ के बेरा घर के मेन दुआरी प दीया जरावल मत भूलीं।

Dhanteras 2022: धनतेरस पूजा के शुभ मुहूर्त

पूजा मुहूर्त – सांझ के 7 बजके 10 – रात 08 बजके 24 (22 अक्टूबर 2022)

प्रदोष काल: सांझ 5.52 – रात 8.24 (22 अक्टूबर 2022)

वृषभ काल: सांझ 7.10 – रात 09.06 (22 अक्टूबर 2022)

Dhanteras 2022: धनतेरस प एह देवता लोग के होला पूजा

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि के धनतेरस के परब मनावल जाला। एह दिन के धन्वंतरि देव के जयंती के रूप में मनावल जाला। धनतेरस 2022 प धनवंतिर देव के पूजा के संगे कुबेर, लक्ष्मी, गणेश आ यम के पूजा कइल जाला।

Dhanteras 2022: धनतेरस प का किनी का ना

धनतेरस के दिने खरीदारी के विशेष महत्व होला। एह दिन सोना, चांदी, पीतल के चीज आ झाड़ू किनल शुभ मानल जाला। हालांकि धनतेरस प करिया रंग के वस्तु, कांच, एल्युमीनियम आ लोहा से बनल चीज बिल्कुल ना किने के चाहीं।

Dhanteras 2022: धनतेरस प एह चीजन के होला खरीदारी

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतिर के अलावे भगवान कुबेर आ माता लक्ष्मी के पूजा-अर्चना कइल जाला। मान्यता बा कि धनतेरस के दिन खरीदारी कइल बहुते शुभ होला। एह कारण से बरिसन से धनतेरस के मौका प सोना-चांदी के अभूषण, बर्तन, घरन में प्रयोग कइल जाये वाला चीझ, कार, मोटर साइकिल आ जमीन-मकान के सौदा होला।

Dhanteras 2022: भगवान धन्वंतरि के आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।

कइसे करी सोना के पहचान

सोना के कवनो ज्वैलरी के किने से पहिले एक बेर हॉलमार्क नंबर जरूर देख लीं। असल में, हर कैरेट के सोना खातिर हॉलमार्क नंबर लिखल जाला। जदि रउआ 22 कैरेट के सोना किनत बानी  त ओह प 916 नंबर के इस्तेमाल कइल जाला त ओहिजा 18 कैरेट खातिर 750 नंबर के इस्तेमाल करत बानी जबकि 14 कैरेट खातिर 585 नंबर के उपयोग कइल जाला।

धन्वंतरि आराधना के महत्व

धनतेरस के दिन आरोग्य के प्राप्ति खातिर भगवान धनवंतरि के पूजन करत बानी। धनवंतरि के आयुर्वेद के प्रवर्तक आ देवता के वैद्य मानल गइल बा। पारंपरिक मान्यता के मोताबिक पृथ्वी लोक में धनवंतरि के अवतरण समुद्र मंथन से भइल रहे। शरद पूर्णिमा के चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के कामधेनु गाय, त्रयोदशी के धनवंतरि, चतुर्दशी के काली माता, अमावस्या के भगवती लक्ष्मी के सागर से प्रादुर्भाव भइल। एही कारण दीपावली के दु दिन पहिले त्रयोदशी के भगवान धनवंतरि के पूजा कइल जाला। भगवान धनवंतरि के हर तरह के रोगन से मुक्ति दिलावे वाला देव मानल गइल बा।

Dhanteras 2022: धनतेरस मंत्र

– मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।

– त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीयतामिति।।

मंत्र के अर्थ – यमुना यमराज के बहिन ह। एहिसे धनतेरस के दिन यमुना-स्नान के विशेष महत्व ह।

धन्वंतरि पूजा के बा महत्व

धनतेरस के दिन आरोग्य के प्राप्ति खातिर भगवान धन्वंतरि के पूजन कइल जाला। धनवंतरि के आयुर्वेद के प्रवर्तक आ देवता लोगन के वैद्य मानल गइल बा। पारंपरिक मान्यता के मोताबिक पृथ्वी लोक में धनवंतरि के अवतरण समुद्र मंथन से भइल रहे। शरद पूर्णिमा के चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के कामधेनु गाय, त्रयोदशी के धनवंतरि, चतुर्दशी के काली माता, अमावस्या के भगवती लक्ष्मी के सागर से प्रादुर्भाव भइल। एही कारण दीपावली के दु दिन पहिले त्रयोदशी के भगवान धनवंतरि के पूजा कइल जाला। भगवान धनवंतरि के हर तरे के रोगन से मुक्ति दिलावे वाला देव मानल गइल बा।

धनतेरस के संगे 5 दिवसीय दीपावली उत्सव के होला शुरुआत

धनतेरस के संगही पांच दिवसीय दीपावली उत्सव के शुरुआत हो जाला। एह 5 दिवसीय उत्सव में पहिले धनतेरस, दूसरा नरक चतुर्दशी, तीसरा दीपावली, चउथा गोवर्धन पूजा आ पांचवां भइया दूज के त्योहार मनावल जाला। एह पांच दिनन के उत्सव में हर दिन के आपन अलग महत्व बा।

Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन यम के दिया जरावे के बा परंपरा

धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान के परंपरा पुरातन काल से चलल आ रहल बा आ एह दिन यमराज खातिर आटा के चौमुख दिया बनाके ओह घर के मुख्य द्वार प रखल जाला। घर के महिला रात के बेरा एह दिया में तेल डालके चार बत्ती जरावल जाला। एह दिया के मुख दक्षिण दिशा के ओर होला। दिया जरावत घरी दक्षिण दिशा के ओर मुख क के ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र के जाप कइल जाला।

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