जान लेईं बात जरूरी: समय पs ट्रामा सेंटर पहुंचले पर बच सकsता मरीज के जान, कटल अंग भी ला सकतने थैली में

कुमार आशू
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मथुरा में आपन काम खत्म कर अपने घर जाए खातिर निकलल रहलें कि अचानक गाड़ी से टक्कर हो गइली। एह दुर्घटना में 45 वर्षीय व्यक्ति के छाती में गंभीर चोट लागल। उनके बचावे खातिर तुरंत लगहीं अस्पताल ले के गइलें। इहां ट्रामा सर्जन होखले के कारण फरीदाबाद के एक अस्पताल में रेफर कर दिहल गइल। जहां से पहिले दिल्ली के एक अस्पताल में अउर फिर एम्स ट्रामा सेंटर भेज दिहल गइल। एम्म ट्रामा पहुंचले में करीब 14 घंटा के समय बीत गइल। उपचार के दौरान मरीज दम तूड़ दिहलें।

अइसने घटना के ध्यान में रखता एम्स ट्रामा सेंटर के सर्जन डॉ. दिनेश गोरा के मानल जाव त एम्स ट्रामा में रोजाना 100 से 150 केस आवsला। एहमें से करीब 20 फीसदी मरीज गंभीर होलें, जिनके रेड जोन में रखल जाला।

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ऊ कहलें कि रेड जोन में आवे वाले ज्यादातर मरीज गोल्डन ऑवर में ट्रामा सेंटर ले नाइ पहुंच पावेने, जेकरे कारण उनकर मौत हो जाला। ऊ कहलें कि देश में ट्रामा सेंटर अउर ट्रामा सर्जन के भारी कमी बा, जेकरे कारण मरीजन के समय पर उपचार नाइ मिल पावsला। ऊ कहलें कि लोग के जान बचावे खातिर ट्रामा ट्रीटमेंट के जानकारी सबके स्वास्थ्यकर्मियन के दीहल जाए के बा, जेसे ऊ गंभीर मरीजन के उपचार दे सकी।

कटल अंग के ला सकतनी थैली में

डॉ. गोरा कहलें कि दुर्घटना में अगर कौनो अंग कट जाला चाहे फिर बाउर तरह से घाही हो जाला त उनके थैली में रख के लावल जा सकsता। अगर 4-5 घंटा में उन के ट्रामा पहुंचा दिहल गइल त उनके फिर से जोड़ सकतनी। हालांकि अंग के लवलें के दौरान ध्यान रखे के चाहीं कि अंग के थैली चाहे कपड़ा में लपेट के लावल जाए। अगर बर्फ मिल जाय त अंग के थैली के बाहर लगा देवे के चाहीं। गीला कपड़ा भी लगावल जा सकsता, जेसे अंग के सुरक्षित लावल जा सकsता।

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