खतरा के घंटी बन के बाजल एगो शोध, छह घंटे में AI बना लिहलस 40 हजार रासायनिक हथियार
दशक भर से दवाई के विकास में मदद करत एआई के इस्तेमाल मानवता के खत्म करे खातिर सबसे घातक तरीका खोजले खातिर भी कइल जा सकs ला।
खतरे की घंटी बन के बाजल एगो शोध, छह घंटे में AI बना लिहलस 40 हजार रासायनिक हथियार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल लंबा समय से सर्च इंजन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और गैजेट में हो रहल बा। फेशियल रिकॉग्निशन खातिर अउर रिसर्च में एकर इस्तेमाल बड़हन स्तर पर होला, लेकिन ए बार एआई दुनियाभर के वैज्ञानिकन के अपने काम से चौंका देहले बा।
दरअसल स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट फॉर एनबीसी (न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल एंड केमिकल) प्रोटेक्शन-स्पाइज लेबोरेटरी में एगो शोध के दौरान एगो जटिल बीमारी के ठीक कइले खातिर एआई केमिकल कंपाउंड के टास्क देहलस। एह बीमारी में इलाज के दौरान शरीर के एगो हिस्सा में इंसान के जान लेवे वाली चीज के फिल्टर कइल शामिल रहल। शोधकर्ता सब ए दौरान एकरे परिणाम के सकारात्मक पक्ष जाने वाली स्विच का उपयोग कइले के जगही पs नकारात्मक परिणाम वाली स्विच के इस्तेमाल कइने अउर परिणाम चौंकावे अउर डरावे वाला निकलल।
शोध के दौरान गलत स्विच दबने के बाद महज छह घंटे में 40 हजार रासायनिक हथियार बन गइल जौन कौनो वक्त दुनिया के कौनो हिस्सा में तबाही मचावे खातिर काफी बा। एह शोध के बाद शोधकर्ता लोग दुनिया के आगाह करे खातिर कहने कि दशक भर से दवाई के विकास में मदद करत एआई के इस्तेमाल मानवता के खत्म करे खातिर सबसे घातक तरीका खोजले खातिर भी कइल जा सकs ला।
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