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अमरावती नरसंहार के जांच : आरोपी इरफान भगवा के झंडा लेके जात रहले, कोरोना में एनजीओ खोलले; पुलिस से बढ़िया संबंध रहे

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उदयपुर के तर्ज प एनआईए महाराष्ट्र के अमरावती में केमिस्ट उमेश कोल्हे के हत्या के जांच करतिया। एह घटना में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया (आईएसआईएस) के भी शामिल मानल जा रहल बा। ओने मुख्य आरोपी इरफान से जुड़ल बहुत महत्वपूर्ण जानकारी भास्कर के मिलल बा। एह सब से पता चलत बा कि ऊ एगो एनजीओ चलावत रहले. एकरा संगे-संगे पुलिस से उनुकर संबंध निमन रहे, एहसे उनुका नीयत प केहु के शक ना भईल।

हमनी के इरफान के एगो फोटो मिलल, जवना में उ भगवा के झंडा लेके देखल गईल बाड़े। दूसरा फोटो में उनुका एनजीओ से जुड़ल लोग नागपुरी गेट थाना में आवे वाला अधिकारी के सम्मानित करत देखाई देतारे। एगो अवरू फोटो में इरफान पुलिस अधिकारी के गुलदस्ता दे रहल बाड़े। एतने ना, इरफान के ओर से अमरावती के निर्दलीय सांसद नवनीत राणा के पक्ष में वोट मांगे के सबूत भी मिलल बा। जानिए नरसंहार से पहिले इरफान के छवि कईसन रहे..

रहबर नाम से कोरोना में एनजीओ शुरू कइलस

इरफान कोरोना के समय जरूरतमंद लोग के मदद करे खातिर रहबर नाम के एगो एनजीओ शुरू कईले। रहबर के संस्थापक टीम में से एगो अब्दुल्ला खान के कहना बा कि कोरोना में लोग मरत रहुवे बाकिर ओकर परिवार के लोग लाश के हाथ ना लगावत रहुवे. हमनी के संस्था अइसन लोग के अंतिम संस्कार करत रहे। हमनी के लोग के दवाई आ ऑक्सीजन भी उपलब्ध करवले रहनी जा।

कोरोना के दौरान इरफान रहबर नाम के एगो एनजीओ खोलले रहले। जवना के माध्यम से उ जरूरतमंद लोग के मदद करत रहले। एही चलते बहुत लोग भी उनुकर मदद कईले।
कोरोना के दौरान इरफान रहबर नाम के एगो एनजीओ खोलले रहले। जवना के माध्यम से उ जरूरतमंद लोग के मदद करत रहले। एही चलते बहुत लोग भी उनुकर मदद कईले।

कबो हिन्दू-मुस्लिम के नाम ना लिहले

अब्दुल्ला बतावेले कि लोग के मदद करत घरी इरफान भी एक संगे रहत रहले अवुरी लोग के मदद करत रहले। कबो शक ना कइले कि ऊ ई काम कर सकेलें. का इरफान कबो नूपुर शर्मा अउरी उमेश कोल्हे के बारे में बात कईले रहले? एकरा प अब्दुल्ला कहले कि उ कबो कवनो बैठक में हिन्दू-मुस्लिम के नाम नईखन लेले।

एनजीओ में 150-180 लोग शामिल रहे, मात्र 10 लोग सक्रिय रहे

फंडिंग के सवाल प अब्दुल्ला के कहनाम बा कि हमनी के संस्थान के कवनो बैंक खाता नईखे। हमनी के अभी तक जवन भी मदद कईले बानी जा, उ लोग से पूछ के कईले बानी जा। पास के लोग हमनी के संस्था खातिर पइसा, दवाई, कपड़ा आ जरूरी सामान भी देत ​​रहे। विदेश से पईसा मिलल गलत बा। संगठन में 150 से 180 लोग शामिल रहे, लेकिन सक्रिय लोग मात्र 8 से 10 लोग रहे।

एनजीओ के काम देख पुलिस के शक ना भईल

पुलिसकर्मी के संगे इरफान के तस्वीर के बारे में अब्दुल्ला के कहनाम बा कि जब-जब हमनी के ईद मिलान के कार्यक्रम के आयोजन करत रहनी जा त पुलिसकर्मी के बोलावत रहनी। संगही, जब कवनो नया पुलिस इंस्पेक्टर थाना में आवत रहले त हमनी के स्वागत अवुरी सम्मान खाती बोलावत रहनी।

इरफान के एनजीओ नागपुरी गेट थाना क्षेत्र के अंतर्गत आवेला। इहां के प्रभारी निरीक्षक पुण्डलिक मेश्राम बतवलें कि ई एनजीओ कोविड में हजारो लोग के मदद कइले बा। एकरा संगे-संगे एनजीओ के लोग भी अपना स्तर प समाज में विवाद के समाधान करे के काम करत रहे। उ तबे थाना पहुंचत रहले जब मामला बड़ होखत रहे। उनुका काम के देख के हमनी के कबो शक ना भईल कि इरफान अयीसन संदिग्ध घटना में शामिल हो सकतारे।

विवाद के बाद ‘रहबर हेल्पलाइन’ बंद

अमरावती नरसंहार के बाद इ संस्था बंद हो गईल बा। अब्दुल्ला के कहनाम बा कि जे अयीसन काम करेला, हमनी के ओ लोग के समर्थन नईखी क सकत। ए घटना के बाद संगठन के नाम कलंकित हो गईल बा। एही से हम एकरा के बंद क देनी। हमनी के भविष्य में अयीसन कवनो काम ना करब। उ इहो कहतारे कि उ संगठन के सदस्य ना बनल चाहत रहले, लेकिन इरफान जबर्दस्ती ए संगठन में आपन नाम डाल देले रहले।

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