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प्रेरणादायक कहानी अरे जब सोचे के बा त बड़ सोची

जीवन में कुछ करे खातिर सोच के बहुते महत्व होला। हमनी के भविष्य हमनी के सोच पे निर्भर करेला। महात्मा गांधी कहले कि आदमी जवन सोचेला उहे बन जाला। रउआ जीवन में तबे सफल हो सकेनी जब रउआ सफलता हासिल करे के दिशा में आपन सोच सकारात्मक रखब। एही से अगर सोचे के बा त हमेशा बड़ सोची। एहि पे एगो एहा कहानी बा।

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प्रेरणादायक कहानी अरे जब सोचे के बा त बड़ सोची

जीवन में कुछ करे खातिर सोच के बहुते महत्व होला। हमनी के भविष्य हमनी के सोच पे निर्भर करेला। महात्मा गांधी कहले कि आदमी जवन सोचेला उहे बन जाला। रउआ जीवन में तबे सफल हो सकेनी जब रउआ सफलता हासिल करे के दिशा में आपन सोच सकारात्मक रखब। एही से अगर सोचे के बा त हमेशा बड़ सोची। एहि पे एगो एहा कहानी बा।

एगो गरीब लइका एगो गाँव में रहत रहे। उनकर घर के आर्थिक हालत ठीक ना रहे। गरीब परिवार के लोग बहुत मुश्किल से पढ़वले अउरी ग्रेजुएशन करावेले, लेकिन देश में बढ़त बेरोजगारी के चलते बेचारा के नौकरी ना मिल पावल।

घर में दू बेर के रोटी तक ना बनावल जा सकत रहे। एक बेर उ लईका ट्रेन से शहर में इंटरव्यू देवे वाला रहे। ओकरा लगे खाए खातिर कवनो खास चीज ना रहे। एगो छोट टिफिन में चार गो रोटी रहे आ कवनो सब्जी ना रहे।

ट्रेन अपना गति से चलत रहे। जब लईका भूख लागल त आपन टिफिन खोललस जवना में खाली रोटी रहे। टिफिन से रोटी निकाल के रोटी के टुकड़ा तोड़ के टिफिन के भीतर अइसे डाल दिहले जइसे ओह टिफिन में सब्जी होखे आ फेर ऊ रोटी के टुकड़ा खाए लगल। पास में देख के एगो आदमी के बहुत अजीब लागल।
ऊ लइका फेरु रोटी के टुकड़ा लेके टिफिन में अइसे डाल दिहलस जइसे टिफिन में सब्जी होखे आ फेर रोटी खाए लागल। अब कुछ लोग उनकर ई हरकत देख के हैरान हो गइलन कि टिफिन खाली बा बाकिर तबहियों ऊ बार बार काहे करत बाड़न जइसे ऊ सब्जी से रोटी खात होखस।

एगो आदमी के रहल ना गइल त ऊ लइका से पूछलस कि भाई, तोहार टिफिन खाली बा, फिर टुकड़ी डाल के अइसे काहे खात बाड़?
ऊ लइका कहलस, हम जानत बानी कि ई टिफिन खाली बा बाकिर हम सोचले बानी कि एह टिफिन में अचार बा आ हम अचार के साथे रोटी खात बानी।

तब ऊ आदमी पूछलस कि का अइसन कइला से अचार के स्वाद मिल रहल बा, तब लइका कहलस – हँ हमरा अचार के स्वाद मिल रहल बा, हमरा ई रोटी स्वादिष्ट लागत बा काहे कि हमरा बस सोच के अचार के स्वाद मिल रहल बा।

एही बीच पीछे से केहु पुकारलस – अरे भाई जब सोचे के पड़े त पनीर आ शाही पनीर के बारे में सोच , कम से कम पनीर के स्वाद चख लेती, इहे सुन के बईठल सब सवारी हंस गईले ।

सही कहलस ऊ व्यक्ति, जब सोचे के बा त बड़का सोचे के बा, त छोट सोचला से का फायदा?

मित्र लोग, अब्दुल कलाम जी कहले कि जब भी सोची त बड़का सोचीं काहे कि बड़का सोचे वाला के सपना पूरा हो जाला। हमनी के रोज बहुत कुछ सीखेनी जा, पढ़ेनी जा, देखेनी जा आ सोचेनी जा, आ भाई जब सोचे के पड़ेला त बड़का सोचे के पड़ेला।
ई खाली एगो किस्सा ना ह ।, रउरा बड़का सोचीं, फेर देखीं, रउरा बड़का रिजल्ट मिले लागी।

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