स्थापना के 99 बरिस बाद हाईटेक भइल गोरखपुर के गीता प्रेस

Anurag Ranjan

गोरखपुर: प्रसिद्ध प्रकाशन आ हिन्दून के धर्मग्रंथन के छापे गीता प्रेस के कायाकल्प अब 99 बरिस के बाद होखे आला बा। गोरखपुर के गीता प्रैस में किताबन के छपाई अब हाईटेक तकनीक से होई। एकरा ला जापान आ जर्मनी के मशीनन के इस्तेमाल कइल जाता। एह मशीनन से 16 भाषा के 1800 से बेसी किताबन के 50,000 प्रति रोजे छापल जात बा। ANI  एकर रिपोर्ट विस्तार से 1 मार्च(मंगर) के छपले बिया।

 

गीता प्रेस के किताब खास कs के हिन्दू धरम के माने आ पूजा पाठ करे आला लोगन किहां पावल जाला। एह किताबन में रामायण, भगवद गीता, पुराण, चालीसा, महाभारत अस महत्व आला ग्रंथ बा। आजादी के संघर्ष के घरी गीता प्रेस 1923 में खुलल रहे। एकरा के जय दयाल गोयनका स्थापित कइले रहस। ANI के एह सब तथ्य आ नाया बदलाव के जानकारी गीता प्रेस ट्रस्ट के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल देले बानी।

देवी दयाल के मोताबिक,

“अभी हमनी के 15 भाषा में लगभग 1800 किताबन के रोज छाप रहल बानी सs। किताबन के मांग एकरा उत्पादन से बेसी बा। हमनी के लोगन के डिमांड के पूरा करे ला सब तरे के डेग उठा रहल बानी सs। हमनी के धेयान लोगन के कम दामन में आछा किताब दिलावे के बा। अइसन करे के हमनी के पहिले से इतिहास रहल बा। हमनी के फायदा ला कबों काम ना करेनी जा। लोग एह बात से आश्चर्य करेला कि हमनी के कम दाम में अइसन कइसे कs लेवेनी सs।”

देवी दयाल आगे कहनी-

“हमनी के किताबन के दाम एसे कम राख सकल बानी सs काहेकि हमनी के कांच माल इंडस्ट्री से ना किननी सs। गीता प्रेस के कवनो डोनेसन ना मिले। हमनी के एकरा के अपना दाम पs चला रहल बानी सs। हमनी के किताबन के आसान भाषा में अनुवाद करेनी सs जवना से ऊ लोगन के आसानी से समझ में आ जाव। संगही प्रिंट के क्वालिटियो  निमन राखेनी सs जवना से लोगन के पढ़े में आसानी होखे। आज गीता प्रेस के पहुंच घरे-घरे ले बा। अभी ले हमनी के 71.77 करोड़ काँपी बेच चुकल बानी सs। एमे 1 लाख श्रीमद भगवत गीता, 1139 लाख रामचरित मानस, 261 लाख पुराण उपनिषद, महिला आ बच्चन ला जरूरी किताब 261 लाख, 1740 भक्ति चैत्र आ भजन माला आ आउर किताब 1373 लाख शामिल बा।”

गीता प्रेस अभी ले 1830 किताबन के छपले बा। एमे 765 किताब संस्कृत आ  हिंदी में बा। संगहि आउर किताब  मलयालम, तेलगु, गुजरती, तमिल, उड़िया, मराठी, उर्दू, असमिया, बंगाली, पंजाबी आ अंग्रजी में बावे। गीता प्रेस 16 वीं सदी में अवधी भाषा में लिखल गइलरामचरित मानस के नेपाली अनुवाद के संगे छपले बा। 29 अप्रिल 1923 में जय दलाय गोयनका द्वारा स्थापित एह संस्थान के उद्देश्य सनातन धरम के  परचार कइल  रहे।

गीता प्रेस ओ समे स्थापित भइल रहे जब भारत में धर्म परिवर्तन अपना चरम पs रहे। एकर स्थापना के बाद एकरा विस्तार में प्रसाद पोद्दार के बड़हन जोगदान रहे। स्थापना के पहिला 4 बरिस ले गीता प्रेस खाली प्राचीन धर्मग्रंथ छपले रहे। एकरा प्रकाशन के दायरा साल 1927 में तब बढ़ल जब पोद्दार कल्याण नाव के एगो मैगज़ीन प्रकाशित कइले। ई डेग गीता प्रेस के एगो नाया पहचान देलस। साल 2023 में गीता प्रेस के स्थापना के 100 साल होखे  जा रहल बा।  अभी गीताप्रेस में लगभग 400 कर्मचारी काम करत बा लो। एह लो काम करे के तरीका से सबकेहु प्रभावित बा। वो बिना हाला कइले शांति से आपन काम करेला।

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सिविल इंजीनियर, भोजपुरिया, लेखक, ब्लॉगर आ कमेंटेटर। खेल के दुनिया से खास लगाव। परिचे- एगो निठाह समर्पित भोजपुरिया, जवन भोजपुरी के विकास ला लगातार प्रयासरत बा। खबर भोजपुरी के एह पोर्टल पs हमार कुछ खास लेख आ रचना रउआ सभे के पढ़े के मिली। रउआ सभे हमरा के आपन सुझाव anuragranjan1998@gmail.com पs मेल करीं।