गीता प्रेस गांधी शांति पुरस्कार ली, बाकिर सम्मान राशि ना: मैनेजमेंट कहलस- ई हमनी के परंपरा ना, 100 साल में कबो आर्थिक मदद ना लिहल गइल
गीता प्रेस...एह समय शताब्दी वर्ष (100वीं वर्षगांठ) मना रहल बा। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामिल होइहें। उनका कार्यक्रम के स्वीकृति मिल चुकल बा, बाकिर तारीख अभी फाइनल नइखे भइल।
गोरखपुर से प्रकाशक गीता प्रेस गांधी शांति पुरस्कार के तs स्वीकार करी, बाकिर एक करोड़ के सम्मान राशि ना ली। गीता प्रेस के बोर्ड एकर ऐलान सोमार के कइलस। केंद्र सरकार 18 जून के गीता प्रेस के 2021 खातिर गांधी शांति पुरस्कार देवे के घोषणा कइले रहे।
गीता प्रेस के प्रबंधक लाल मणि तिवारी कहलें, ‘गीता प्रेस 100 सालन में कबो कवनो आर्थिक मदद भा चंदा ना लेलस। एकरा अलावे सम्मान के संगे मिले वाला कवनो तरे के धनराशि के स्वीकार ना कइलस।
ऊ एह सम्मान खातिर पीएम मोदी आ सीएम योगी के आभार व्यक्त कइलें। कहलें, ई सम्मान हमनी खातिर हर्ष के बात बा। बाकिर, बोर्ड ई फैसला लेले बा कि सम्मान के संगे मिले वाला धनराशि के स्वीकार ना कइल जाई।’
कांग्रेस कहलस- ई फैसला उपहास भरल बा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ट्वीट में पीएम मोदी के अध्यक्षता वाली जूरी द्वारा लिहल गइल फैसला के उपहास भरल बतवलें। ऊ कहलें कि ई फैसला सावरकर आ नाथूराम गोडसे के पुरस्कार देवे जइसन बा।
पीएम गीता प्रेस के सराहना कइलें
पीएम मोदी अतवार के एह पुरस्कार खातिर गीता प्रेस के बधाई देले रहस। ऊ बिहान कहले रहस कि गीता प्रेस के अपना स्थापना के 100 साल पूरा होखला पs गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित कइल गइल सामुदायिक सेवा में कइल गइल कामन के सराहना कइल बा।
पीएम कहलें कि गांधी शांति पुरस्कार 2021, मानवता के सामूहिक उत्थान में जोगदान देवे खातिर गीता प्रेस के महत्वपूर्ण आ अद्वितीय जोगदान के मान्यता देत बा, जवन सांच अर्थन में गांधीवादी जीवन शैली के प्रतीक हs।
दुनिया के सबसे बड़ प्रकाशकन में से एगो हs गीता प्रेस
गीता प्रेस के स्थापना 1923 में भइल रहे। ई दुनिया के सबसे बड़ प्रकाशकन में से एगो हs। ई 14 भाषा में 41.7 करोड़ पुस्तक प्रकाशित कइले बा। एमे 16.21 करोड़ श्रीमद भगवद गीता बा। गीता प्रेस सनातन-धर्म के अब तक 92 करोड़ किताब छाप चुकल बा, जवन एगो रिकॉर्ड हs। अकेले एह साल 2 करोड़ 42 लाख किताब छापल गइल बा। रामचरितमानस पs राजनीतिक विवाद के बाद से एकर 50 हजार किताब जादे बिकल बा। प्रेस के आमदनियो में इजाफा भइल बा।
गीता से प्रेरित होके सेठ गोयंदका 1923 में खोलले रहस प्रेस
श्रीमद्भगवद्गीता आ रामचरितमानस के घर-घर में पहुंचावे के श्रेय गीता प्रेस के जाला। गीता प्रेस के सुरू होखे के कहानी बहुते दिलचस्प बा। बात 1920 के दशक के हs। कलकत्ता के एगो मारवाड़ी सेठ जयदयाल गोयंदका रोज गीता पढ़स। 18 वां अध्याय में गीता सार के रूप में लिखल एगो बात उनका दिल के छू गइल। उ बात रहे, जे एह परम रहस्य युक्त गीताशास्त्र के हमरा भक्तन में कही, ऊ हमरा के प्राप्त होई’।
एही के बाद लोगन के कहला पs गोयंदका आपन व्याख्या के एगो प्रेस से छपवलें, बाकिर ओमे भयंकर गलतियन के देखके ऊ दुखी हो गइलें। ओहि दिन उनका प्रेस के खेयाल आइल। फेर गोरखपुर के आपन एगो श्रद्धालु घनश्यामदास जालान के सुझाव पर एही शहर में दस रुपिया किराया के मकान में 1923 में गीता प्रेस सुरू कइलें।
मनावल जा रहल बा शताब्दी वर्ष
गीता प्रेस…एह समय शताब्दी वर्ष (100वीं वर्षगांठ) मना रहल बा। समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामिल होइहें। उनका कार्यक्रम के स्वीकृति मिल चुकल बा, बाकिर तारीख अभी फाइनल नइखे भइल।
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