एगो समय रहे, जब गाय के गोबर के समस्या के चलते लोग पशुपालन में ना जुड़त रहे। एकरा साथे-साथे कुछ लोग प्यार से दूध वाला गाय रखत रहे आ जवन गाय दूध ना देत रहे, ओकरा के छोड़ देत रहे जौन गली-गली में घूमत रहे। बाकिर आजु गोबर के इस्तेमाल अतना बढ़ गइल बा कि लोग खाली गाय के गोबर खातिर गाय पोसे के काम शुरू कर दिहले बा. गाय के गोबर से बनल कागज आ लकड़ी के बाद अब गाय के गोबर से बनल इको फ्रेंडली पेंट भी देश भर में काफी बिका रहल बा।
एकर शुरुआत भारत के सूक्ष्म, लघु आ मध्यम उद्यम मंत्रालय कइले बा। एकर मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के बढ़ावा दिहल बा, ताकि गांव में उपलब्ध संसाधन से उद्योग शुरू कईल जा सके। खादी इंडिया के माध्यम से गाय के गोबर से बनल प्राकृतिक रंग के बिक्री हो रहल बा।
एकरा खातिर लोग के सरकार के ओर से ट्रेनिंग दिहल जाता। फिलहाल बिहार समेत कई राज्य में गोबर पेंट प्लांट लगावल जाता। ओडिशा में गाय के गोबर के रंग के पहिला यूनिट बनावे वाली 33 साल के दुर्गा प्रियदर्शिनी जयपुर से गाय के गोबर के रंग बनावे के ट्रेनिंग लेके आपन धंधा शुरू कईले बाड़ी।
Comments are closed.