शीतला अष्टमी के व्रत हर साल चैत्र महीना के अष्टमी तिथि के मनावल जाला। एह दिन शीताला माता के शुभ समय में विधिवत पूजा कइल जाला। अइसन कइला से माता रानी भक्तन के सब मनोकामना पूरा कs देली। शीतला अष्टमी खास तौर पs मालवा, निमाड़, राजस्थान अवुरी हरियाणा के कुछ इलाका में मनावल जाला। शीतला अष्टमी के बासौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा भा बसियौरा के नाम से भी जानल जाला। एह साल शीतला अष्टमी के व्रत 22 मार्च के कइल जाई. तs आईं शीतला अष्टमी पूजा के शुभ समय आ महत्व के बारे में जानीं।
शीतला अष्टमी 2025 के पूजा मुहूर्ता
पंचांग के मुताबिक चैत्र महीना के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि 22 मार्च के सबेरे 4.23 बजे से शुरू होई। अष्टमी तिथि 23 मार्च के सबेरे 5.23 बजे समाप्त होई। शीतला अष्टमी के पूजा के शुभ समय सबेरे 6.41 बजे से 6.50 बजे ले होई।

शीतला अष्टमी के महत्व
शीतला अष्टमी के दिन माई देवी के बासी भोजन चढ़ावल जाला जवन एक दिन पहिले यानी सप्तमी तिथि के दिन बनावल जाला। असल में शीतला माता के ठंडा चीज बहुत पसंद बा, एही से उनुका के ठंडा चीज़ चढ़ावल जाला। शीतला अष्टमी के दिन भक्त बासी भोजन के सेवन भी करेले। मानल जाता कि एकरा से बहुत बेमारी अवुरी संक्रमण दूर रहेला। शीतला माता के पूजा से चेचक, खसरा जईसन बेमारी भी दूर रहेला। शीतल माता के भक्तन के एह रोगन के कोप से मुक्ति मिलेला।
शीतला माता के लगाई एह चीजन के भोग
मीठा चावल
पूड़ी-हलवा
मिठाई
बासी पुआ
गुड़ी से बनल चीज
चना के दाल
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