हर साल फाल्गुन महीना के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि के महाशिवरात्रि मनावल जाला। इs दिन शिव परिवार के समर्पित मानल जाला। कहल जाला कि भगवान शिव आ माता पार्वती के बियाह एही दिन भइल। पौराणिक मान्यता के अनुसार एह दिन भगवान भोलेनाथ के बारात राजा हिमालय के घरे जात रहे, एही से उज्जैन, काशी आदि बड़हन मंदिरन में शिव शोभायात्रा होला। एकरा संगे आज के दिन निशित पूजा के परंपरा भी बा। शिवलिंग पs फल, फूल, बेल के पत्ता आ भांग आदि चढ़ावल जाला, बाकिर कुछ चीज शिवलिंग पs गलती से ना चढ़ावे के चाहीं। ना तs भगवान शिव क्रोधित हो जइहें। जान ली कि का ना चढ़ावे के चाहीं.
तुलसी
महाशिवरात्रि भा कवनो दोसरा दिन गलती से भी शिवलिंग के तुलसी के पत्ता ना चढ़ावे के चाहीं। मानल जाला कि तुलसी के पति जालंधर के वध भगवान शिव कइले रहले, आ माई तुलसी देवी लक्ष्मी के रूप हई। अइसन स्थिति में शिवचाही। पs तुलसी ना चढ़ावे के चाही।
नारियल
नारियल भा नारियल पानी से शिवलिंग पs अभिषेक ना करे के चाहीं। नारियल के देवी लक्ष्मी के रूप मानल जाला। अइसन स्थिति में शिवलिंग के नारियल ना चढ़ावे के चाहीं।

खंडित अक्षत
चावल के टुकड़ा के कबो अक्षत रूप ना देके शिवलिंग के चढ़ावे के ना चाही। मानल जाला कि एकरा से भगवान शिव के नाराजगी हो जाला।
कुमकुम भा रोली
शास्त्र के अनुसार भगवान शिव के कुमकुम आ रोली ना चढ़ावे के चाहीं। मानल जाला कि भगवान शिव पृथ्वी पs योग मुद्रा में रहेलें आ श्रृंगार खातिर कुमकुम भा रोली के इस्तेमाल होला। एही कारण से इहो भगवान शिव के ना चढ़ावे के चाहीं।
हरदी
हिन्दू धर्म में शुभ काम के दौरान हरदी लगावल शुभ मानल जाला, काहे कि हल्दी शुद्धता आ समृद्धि के प्रतीक हs। बियाह चाहे विवाद समेत कवनो मौका पs हरदी के तिलक चाहे हरदी के पेस्ट जरूर लगावल जाला, बाकिर हरदी भगवान शिव के ना चढ़ावे के चाही। मानल जाला कि महाशिवरात्रि के दूसरा दिन साल में एक बेर ही भगवान शिव के हरदी चढ़ावे के चाही। एही कारण से हरदी के चढ़ावे पs रोक बा।
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