जिला प्रशासन के जांच में खुलासा: अमेठी में मुआवजा के खेल में अफसर लुटवलें 380 करोड़, अफसर लोग अइसे कइलें खेल

कुमार आशू
राजस्व विभाग के अफसर लोग भूमि अधिग्रहण में बड़ खेल करत मुआवजा के नाम पर 380 करोड़ रुपया लुटा दिहलें। मामला अमेठी के ह। छह वर्ष पहिले बनल लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ल बाईपास खातिर कृषि भूमि के अधिग्रहण कइल गइल। अफसर लोग नियम के ताक पर रखकर कृषि भूमि के मुआवजा राष्ट्रीय राजमार्ग के रेट पर कs दिहलें। एसे जौन मुआवजा पs 200 करोड़ रुपया खर्च होत, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के ढाई गुना ज्यादा 560 करोड़ रुपया खर्च करे के पड़ल।

मामला के खुलासा तब भइल जब एनएचएआई के ओर से 2020 में दायर मध्यस्थता अधिकरण के फाइल कुछ दिन पहिले मौजूदा जिला मजिस्ट्रेट के सामने आइल। एह वाद में एनएचएआई अभिनिर्णय अउर भुगतान पs प्रश्नचिह्न लगवले रहनें। तब जिला मजिस्ट्रेट राकेश कुमार मिश्र एडीएम न्यायिक राजकुमार द्विवेदी के अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी से जांच करावल गइल। जांच में सोझे आइल कि मुआवजा वितरण में गड़बड़ी नाइ कइल जात त एनएचएआई के 380 करोड़ रुपया बच जाइत। हालांकि एह मामिला में राजस्व विभाग के कौनो अफसर बोले के तैयार नाइ बा।

राजस्व विभाग के अफसर अइसे कइलें खेल

केंद्र सरकार के स्वीकृति मिलले के बाद वर्ष 2016 में लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण (टू लेन से फोर लेन) के कवायद शुरू भइल। सथही, जिला से होकर गुजरे वाले 49.5 किमी मार्ग पर जगदीशपुर (उतेलवा से कनकूपुर) अउर मुसाफिरखाना में (मठा भुसुंठा से सराय सुलेमान) तक बाईपास के सर्वे भी भइल। एह सर्वे में 30 गांव के जमीन आइल जौन कृषि कार्य से जुड़ल रहे। अउर एनएच चौड़ीकरण में 15 गांव के कई हेक्टेयर जमीन आइल

जांच टीम में शामिल एक अफसर नाम न छपले के शर्त पर बतवलें कि राजस्व विभाग के तत्कालीन अफसर जगदीशपुर बाईपास पर स्थित 95 हेक्टेयर अउर मुसाफिरखाना बाईपास पर 39 हेक्टेयर कृषि भूमि के स्वामी एनएच के रेट से भुगतान कर एनएचएआई के बड़ आर्थिक क्षति पहुंचवलें। प्रथम दृष्टया एकर प्रमाण भी मिलल बा।

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