Gudi Padwa 2022: जानीं काहें अउर कइसे मनावल जाला गुड़ी पड़वा के पर्व ?

कुमार आशू
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हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवसंवत्सर के प्रारंभ मानल जाला। एही दिन से चैत्र नवरात्रि के शुरुआत हो जाला। एह दिन के गुड़ी पड़वा के नाव से मनावल जाला, जेकर हिन्दू धर्म में बहुत महत्व मानल गइल बा। गुड़ी के अर्थ बा ध्वज अर्थात झंडा, अउर प्रतिपदा तिथि के पड़वा कहल जाला। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार एह बेर गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल 2022 के पड़त बा। एह दिन औरत लोग बिहाने सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि कइला के बाद विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर गुड़ी लगावेली अउर ओकर पूजन करेली। मान्यता बा कि अइसन कइला से उहाँ के नकारात्मकता दूर होला अउर घर में सुख-शांति खुशहाली आवला। विशेष तौर पर ई पर्व कर्नाटक,गोवा,महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश में मनावल जाला। गुड़ी पड़वा के दिन स्वास्थ्य के दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानल जाला। एह दिन खास तरह के पकवान श्री खंड,पूरनपोली,खीर आदि बनावल जाला। गुड़ी पड़वा के बारे में कहल जाला कि खाली पेट पूरन पोली के सेवन कइले से चर्म रोग के समस्यो दूर हो जाला।

सृष्टि के निर्माण के दिन
धार्मिक मान्यता के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन जगतपिता ब्रह्माजी सृष्टि के रचना के कार आरंभ कइले रहने अउर सतयुग के शुरुआत एही दिन से भइल रहल। इहे कारण बा कि एके सृष्टि के पहिला दिन चाहे युगादि तिथि कहल जाला। एह दिन नवरात्रि घटस्थापन, ध्वजारोहण, संवत्सर के पूजन इत्यादि कइल जाला।

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वानरराज बाली पs विजय
रामायण काल में दक्षिण भारत पs बाली के अत्याचारी राजा के शासन रहल। सीताजी के जोहत जब भगवान राम के मुलाकात सुग्रीव से भइल त ऊ श्री राम के बाली के अत्याचार के बारे में बतवने। तब भगवान राम बाली के वध कs के उहाँ के लोग के ओकरे कुशासन से मुक्ति दियवने। मान्यता बा कि ए दिन चैत्र प्रतिपदा के रहल। एलिए एह दिन गुड़ी चाहे विजय पताका फहरावल जाला।

शालिवाहन शक संवत
एगो ऐतिहासिक कथा के अनुसार शालिवाहन नाम के एगो कुम्हार के लइका माटी के सैनिक के सेना बनवलस अउर ओपर पानी छिड़क के ओमें प्राण फूँक देहलस अउर एह सेना के मदद से दुश्मन के पराजित क देहलस। एह विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक संवत के आरंभ भी मानल जाला।

हिंदू पंचांग के रचना के काल
कहल जाला कि प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ अउर खगोलशास्त्री अपने अनुसन्धान के फलस्वरूप सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीने अउर वर्ष के गणना क के भारतीय ‘पंचांग ‘ के रचना कइले रहने।

अन्य मान्यता
एह दिन उज्जैयिनी के सम्राट विक्रमादित्य शक के पराजित क के विक्रम संवत के प्रवर्तन कइले रहने। एही दिन भगवान विष्णु मत्स्य अवतार लेहले रहने, एही दिन से रात के अपेक्षा दिन बड़ होखे लागला।

कइसे मनावल जाला गुड़ी पड़वा

एह दिन लोग अपने घर के सफाई कs के रंगोली अउर आम चाहे अशोक के पत्ता से अपने घर में तोरण बांधेने। घर के आगे एगो झंडा लगावल जाला अउर एहके अलावा एगो बर्तन पर स्वस्तिक बना के ओपर रेशम के कपड़ा लपेट के रखल जाला। एह दिन सूर्यदेव की आराधना के संगही सुंदरकांड,रामरक्षास्रोत अउर देवी भगवती के पूजा अउर मंत्र के जप कइल जाला। बेहतर स्वास्थ्य के कामना से नीम के कोपल गुड़ के संगे खाइल जाला।

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