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भोजपुरी के पहिलकी फिलिम ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ आजुए के दीने भइल रहे रिलीज

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भोजपुरी फिल्मन के इतिहास अगर देखल जाव् त सबका दिमाग में पहिले एकही नाव आवेला| एह फिलिम के भोजपुरी फिल्मन के इतिहास के पहिलकी फिलिम होखे के दरजा मीलल ह| ए फिलिम के निर्माता बिश्वनाथ परसाद शहाबादी अउरी निर्देशक कुंदन कुमार जी रहनीं| ए फिलिम में संगीत के जिम्मा चित्रगुप्त के जी रहल अउरी फिलिम के गीतन के लता मंगेशकर, सुमन कल्यानपुर, मोहम्मद रफी साहब, उषा मंगेश्कर जइसन हिंदी सिलेमा के बड़हन नाम आपन आवाज देहले रहे| ए फिलिम के ओह समय में ऊ सफलता मीलल रहे जौन सायदे कौनो छेत्रीय जबान आली पहिलकी फिलिम के मीलल होखे| नया नया आजाद भइल देस के ओह घरी के जेतना समस्या आ परसानी रहे ओकरा के ईगो सूघर कहानी आ बेहतरीन गीत संगीत में सजाइ के सत्तरे में ओनके पर्दा पs उतारल गइल रहे| इहो कारनो रहे कि एह फिलिम के आज भोजपुरिया दर्शक के दिल आ दिमाग पs छवले रहेला|

गंगा मइया…. के सुरुआते एगो जमींदार(तिवारी) से होता जौन एगो किसान के बटाई जमीन (खेत ) वापिस लेवे खातिर छल परपंच कsरता| ओमे के ई सम्वाद ‘सरकार त अइसन क़ानून बनवले ह कि जेकर जोत रही ओकर हो जाई’ ई फिलिम आज़ादी के बाद के नेहरूवियन समाजवाद के माडल अउरी ओह घरी के राजनैतिक सामाजिक दरसन के झलक लेहले बा| फिलिम के नायक असीम कुमार एगो पढ़ल लिखल आदर्सन के माने आला जुवक के भूमिका में बा जौन अपना जमीदार बाप के उलट समता के बात करेsला| ऊ सहर में पढ लिख लहला के बादों गावें में रहिके खेती किसानी कइल चाहsता| काहेंसेकी ऊ मानेला कि पढ़ल लिखल लोग अधिका बैज्ञानिक ढंग से खेती किसानी क सकेला| बाकिर ओकरे बाउजी के कहनाम रहे कि कागज़ पs हर नाइ चलेला| नाइका कुमकुम के एह बात के बड़ा अफ़सोस बा कि ऊ अनपढ़ बिया ना त आपन प्रेम के पाती अपने सेर  लीखित| नयका रंग-ढंग अउरी पुरान कुरीतियन के बीचे के बहस के एह फिलिम में एतना सचेत हो के सजावल गइल बा कि केनियो से ऊ ठूसल नइखे लागत|

ई फिलिम बिलात सामन्तवाद के चेहरों सामने ले के आवेsले| नाजिर हुसैन ताड़ीखाना में ताड़ी पी रहल बाड़ें| ई अइसन जगह ह जहाँ जात-पात ना, पइसा देखल जाला| ऊ ताड़ी के लगुनी में अँगुरी डार के कहेला, ‘ताड़ी के लगुनी केतना गहिरा बा? हमार खेत बारी घर सब एही में बूड गइल| पइसे सबसे बडका बाबू साहेब ह|’

एन्ने आपन भाग के लतियावल नाइका तबायफ के कोठा तक ले चहुँप जाले अउरी ओन्ने नायको आपन आतमसम्मान पs बाबूजी से मीलल चोट के कारने घर छोड़ देला| एह फिलिम में सम्वाद अदायगी के बहुते बेजोड़ नमूना मीले ला| तबायफ के हीसा में दू गो बेहतरीन सम्बाद बा – “बेस्या के जनम देला तहरा नीयन बाप, भाई अउरी समाज” अउरी दुसरका -“मरद के बड़ से बड़ गलती ई समाज ई दुनिया माफ कs देले| बाकी मेहरारू के एकहूँ गलातो नाइ”

ई फिलिम अपना गीतों के कारन एगो कालजयी फिलिम में से मानल जाले| ए फिलिम में बेहतरीन कबितई के नमूना बा|

“हे गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो पीया से कइ द मिलनवा हो ना, हम त खेलत रहनीं अम्मा जी के गोदिया, काहे बसुरिया बजवलs, मारे करेजवा में तीर, लुकछिप बदरा में चमके जइसे चंदा, अइसने तमावन गीत  भोजपुरिया लोगन के आजुओ झूमे पs मजबूर क देला| आजु जहाँ भोजपुरी फिल्मन में अश्लीलता आ भदेसपन के काकटेल लउकेला ओहिजे गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो अइसन निर्माता आ निर्देशक लोग खातिरसीसा के काम करी| आवे आला समय में भोजपुरी के नीव केतना गहिराह रही उ यही तरे के फिलिम से तई होई|

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