Khabar Bhojpuri
भोजपुरी के एक मात्र न्यूज़ पोर्टल।

अपना से अपनही के समझावल कला हऽ- अवनीश त्रिपाठी

3,587

जज्बात के शब्दन में देखावल कला ह।

अपना से अपनही के समझावल कला ह।।

 

रुसे के त बिना बात रिसिया जाला लोग।

खिसियाइल के जल्दी मनावल कला ह।।

 

दुःख सुख जीवन में कुल मिलत रही।

खाके धोखा जिनगी चलावल कला ह।।

 

काम परला पर आपन चिन्हा जाई।

फरहर बन के सबके अजमावल कला ह।।

 

निक भा बाउर अवनीश लिखबे करी।

सोच समझ के ताली बजावल कला ह।।

 

अवनीश त्रिपाठी ( गोपालगंज)

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

Comments are closed.