स्न्नान (नहान) आ दान के परब अक्षय तृतीया अबकी बेर 3 मई के पड़ रहल बा। एह दिन कवनो सुभ काम जइसे बियाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश (घरभोज), नाया उधयोगन के सुरूआत, यज्ञोपवित आदि कर्म कइल जा सकत बा। मान्यता बा कि अक्षय तृतीया के सोना किने से लाभ मिलेला।
ज्योतिर्विध के अनुसार बैसाख माह के शुक्ल तृतीया के अक्षय तृतीया के नाव से जानल जाला। मान्यता बा कि अक्षय तृतीया के सतजुग आ त्रेता जुग के आरंभ भइल रहे। द्वापर जुग के अंत होके कलियुग एहि दिने सुरू भइल रहे। भगवान परशुराम आ ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार के प्राकट्य एहि दिने भइल रहे। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया के दिने तृतीया तिथि के मान समूचा दिन आ अगिला दिने भोरे 5 बजके 18 मिनट ले रही। रोहिणी नक्षत्रो समूचा दिन आ रात के 1:35 बजे तक बा। एहि दिने शोभन जोग दिन में 03 बजके 03 मिनट ले। मातंग नामक आ औदायिक जोग बन रहल बा। एह दिने पवित्र नदियन में नहाये के चाहीं।
अक्षय तृतीया के दिने दु ग्रहण के सूर्य आ चंद्रमा हरमेसा उच्च इस्तिथी में रहेला। बाकिर समस्त सुभ आ मांगलिक कामन के संपादन ला गृह बलन के आवश्यकता पड़ेला।