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रात में मात्र 5-6 घंटा सुते के बा? जान लीं कि नींद कम के केतना भरपाई हो सकेला।

सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता के कहनाम बा कि, जेकरा सही समय अवुरी पर्याप्त नींद मिलेला, उ लोग ना सिर्फ मनोवैज्ञानिक रूप से फिट रहेले, बालुक उ न्यूरोडिजनरेटिव के प्रतिरोधी भी होखेले, जवना से न्यूरोलॉजिकल बेमारी के खतरा कम हो जाला। ई अध्ययन ‘आईसाइंस’ नाम के पत्रिका में प्रकाशित भइल बा।

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रात में मात्र 5-6 घंटा सुते के बा? जान लीं कि नींद कम के केतना भरपाई हो सकेला।

सैन फ्रांसिस्को के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता के कहनाम बा कि, जेकरा सही समय अवुरी पर्याप्त नींद मिलेला, उ लोग ना सिर्फ मनोवैज्ञानिक रूप से फिट रहेले, बालुक उ न्यूरोडिजनरेटिव के प्रतिरोधी भी होखेले, जवना से न्यूरोलॉजिकल बेमारी के खतरा कम हो जाला। ई अध्ययन ‘आईसाइंस’ नाम के पत्रिका में प्रकाशित भइल बा।

8 घंटा से अधिका नींद लेबे के जरूरत बा, एकर खुलासा एगो नाया अध्ययन में भईल बा।

8 घंटा से जादा समय तक निमन नींद लेवे के जरूरत बा

बढ़िया नींद आवे वाला लोग में न्यूरोलॉजिकल बेमारी के खतरा कम होखेला

स्वस्थ जीवन खातिर पर्याप्त नींद लेवे के बहुत जरूरी बा। अक्सर रउआ देखले होखब कि डॉक्टर लोग के करीब 8 घंटा सुते के सलाह देवेले। लेकिन एगो अध्ययन से पता चलल बा कि इंसान खाती ना सिर्फ 8 घंटा, बालुक निमन नींद भी बहुत जरूरी बा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता के कहनाम बा कि, जवन लोग निमन नींद लेवे ला, उ ना सिर्फ मानसिक रूप से फिट रहेले, बालुक उ न्यूरोडिजनरेटिव के प्रतिरोधी भी होखेला, जवना से न्यूरोलॉजिकल बेमारी के खतरा कम हो जाला। ई अध्ययन ‘आईसाइंस’ नाम के पत्रिका में प्रकाशित भइल बा।

एगो मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट अवुरी अध्ययन के प्रमुख लेखक में से एगो लुईस प्टासेक कहले कि, ‘कहल जाता कि सभके रोज करीब 8 घंटा नींद लेवे के जरूरत बा, लेकिन हमनी के अध्ययन से पाता चलता कि हर आदमी के नींद आनुवंशिकी प निर्भर करेला।’ एकरा के कद के रूप में समझ सकेनी। ऊँचाई के कवनो सही मात्रा नइखे। हर इंसान अलग-अलग होला। हमनी के नींद के मामला में भी ठीक इहे मिलल बा।

लुईस आ सह-लेखक यिंग-हुई फू लगभग एक दशक से यूसीएसएफ वेल इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोसाइंसेज के सदस्य बाड़ें आ पारिवारिक प्राकृतिक छोट नींद (एफएनएसएस) वाला लोग के अध्ययन करत बाड़ें जे रात में लगभग चार से छह घंटा सुतेलें। उ बतवले कि अइसन अक्सर परिवार में होखेला। अबतक ले अइसन पाँच गो जीनोम सभ के पहिचान भइल बा जे नींद में प्रमुख भूमिका निभावे लें। हालाँकि, अइसन अउरी कई गो एफएनएसएस जीन सभ के खोज अभी बाकी बा।

ए अध्ययन में फू के परिकल्पना के भी परीक्षण कईल गईल कि नींद न्यूरोडिजनरेटिव बेमारी से बचाव के ढाल हो सकता। आम मान्यता बा कि नींद के कमी से बहुत लोग में न्यूरोडिजनरेशन तेज हो सकता। एह अध्ययन के नतीजा एकरा उल्टा बा। फू कहले कि अंतर इ बा कि एफएनएसएस के संगे दिमाग कम समय में आपन नींद के काम पूरा क लेला। यानी कि पर्याप्त नींद के कम अवधि के नींद के कमी के बराबरी नईखे कईल जा सकत।

फू अउरी प्टासेक के कहनाम बा कि दिमाग से जुड़ल कई प्रकार के स्थिति के समान जांच से पता चल जाई कि निमन नींद जीन के केतना सुरक्षा देवेले। एकरा संगे लोग के नींद में सुधार से बहुत प्रकार के मानसिक बेमारी से राहत मिल सकता। प्टासेक कहले कि दिमाग से जुड़ल सभ बेमारी में नींद के समस्या आम बा। नींद एगो जटिल गतिविधि ह। दिमाग के बहुत हिस्सा के एक संगे काम करे के पड़ेला ताकि आपके सुते अउरी जागल जा सकता। जब दिमाग के इ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाला त आदमी के निमन नींद आवे में बहुत मुश्किल हो जाला।

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