सारण में नव-जागरण के पुरोधा प्रोफेसर राजगृह सिंह के निधन
हिंदी-भोजपुरी के लेखक, विचारक, एगो संत आ एकमा-छपरा में नव-जागरण के पुरोधा प्रोफेसर राजगृह सिंह ना रहनी। आज सबेरे एकमा, छपरा में उहाँ के निधन हो गइल। ई सूचना उहाँ के भांजा आ भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि मनोज भावुक देलें।
राजगिरी सर, राजगृही सर आ राजगृह सर के नाम से विख्यात प्रोफेसर राजगृह सिंह नंदलाल सिंह, दाउतपुर कॉलेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहनी। छपरा, एकमा, मांझी के इलाका में बनल अधिकांश स्कूल-कॉलेज के प्रेरणास्रोत रहल बानी राजगृह बाबू। अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन सहित हिंदी-भोजपुरी के तमाम संस्थन के मार्गदर्शक मंडल, संस्थापक सदस्य आ संपादक सदस्य रहल बानी कवितांजलि आ कथांजलि नाम के उहाँ के दु गो पुस्तक प्रकाशित बा। अनेक विषयन पs सईयन लेख अलग-अलग अखबारन में प्रकाशित बा।
एकमा में राजगृह बाबू के घर कइयन बड़ साहित्यकारन खातिर एगो आश्रम के तरे रहे
ज्ञानपीठ से सम्मानित कवि केदारनाथ सिंह जब कबो एकमा आवल करीं तs राजगृह बाबू के घर पs उहाँ के समय जरूर बिताई। अपना ननिहाल परसागढ़ होखीं तs राजगृह बाबू के उहवां बोला लीं। एह इलाका में केदार बाबू के जब कबो कवनो कार्यक्रम होखे तs राजगृह बाबू उनका संगे रही। ओहि तरे डॉ० प्रभुनाथ सिंह जब कवनो आयोजन करीं ओमे राजगृह बाबू के बड़ भूमिका होत रहे।
छपरा रिबेल कोचिंग के संस्थापक विक्की आनंद राजगृह बाबू के आपन मार्गदर्शक मानेले। राजगृह बाबू के गाँव टेघड़ा के रहे वाला जय प्रकाश सिंह, आईपीएस जवन वर्तमान में आईजी, पुलिस शिमला बाड़ें, उहो राजगृह बाबू के आपन आदर्श मानेले। राजगृह बाबू के प्रिय शिष्य डॉ. साकेत रंजन प्रवीर भाव विह्वल होके बतवले कि, ” राजगृही बाबू के आवाज में जादू रहे। जब उहाँ के पढ़ाईं तs जेकर सब्जेक्ट हिंदी ना रहे, उहो खिड़की से झाँक के सुने। बाकिर बेमारी सर के आवाजे पs अटैक कs देलस। “बाकिर अब राजगृह बाबू के आवाज फेर कबो सुनाई ना देलस। उहाँ के चीर निद्रा में सुत गइनी। उहाँ के गइला से पूरा शहर में शोक के लहर बा।
Comments are closed.