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सबके बा एक्के कहानी हो, अइसे चलेले जिंदगानी हो!

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गोरखपुर। मेरे गीतो में अब कोई राजकुमार नहीं होता, कोई परी नहीं होती और श्रृंगार नहीं होता। एह गीत के ई पंक्ति महानगर के वरिष्ठ कवि गीतकार जय प्रकाश नायक के हs। श्री नायक अतवार के जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित महानगर आ आसपास के कवियन की काव्यगोष्ठी में काव्यपाठ करत रहस।

प्रगतिशील लेखक संघ आ जनवादी लेखक संघ के एह साझा अभियान से जुड़ल कार्यक्रमन के बारे में संयोजक वीरेंद्र मिश्र दीपक अपना संबोधन में कहलें कि असली रचनाकार उहे होला, जे अपना समय के रचेला। एही के मद्देनज़र दुनों लेखक संगठन  फैसला कइले बा कि महानगर आ अगल-बगल के नया कवियन- रचनाकारन के सही दिशा देवे खातिर हर महीना के चउथा अतवार के  तरह की काव्यगोष्ठी आयोजित कइल जाई। ऊ कहलें कि जदि ई दुनो संगठन नया पीढ़ी के सही दिशा देला के संगही गोरखपुर महानगर में लिखे पढ़े के पुरान माहौल लवटा सके तs ई बहुत बड़ उपलब्धि होई।

कार्यक्रम के सुभारंभ कुमार अभिनीत के भोजपुरी गीत -जिनगी के सार बूझअ, आपन -हमार बूझअ। सबके बा एक्के कहानी हो, अइसे चलेले जिन्दगानी हो, जइसन गंभीर से भइल। एकरा बाद कवयित्री सौम्या द्विवेदी युवा पीढ़ी के भटकाव के ओर इशारा करत- तुम शांत रहते हो, पर शांत रहना नहीं चाहते। एह भीड़ में खोए हो, पर खोना नहीं चाहते, रचना पढ़के उपस्थित लोगन के बहुत कुछ सोचे के विवश कs देली।

एकरा बाद संचालक धर्मेन्द्र त्रिपाठी उर्दू रचनाकार सलीम मज़हर के बुलवले। सलीम के गजल के शेर -अगर ईमान सब लोगों का मैला हो गया होता, सूरज बुझकर जाने कब का काला हो गया होता’ गोष्ठी के नया ऊंचाई देलस।

एकरा बाद युवा कवि यशस्वी यशवंत भोजपुरी आ हिंदी में जवन रचना श्रोता लोगन के सोझा रखलें, ऊ आज के युवा लोगन के चिंता के रेखांकित कइल। विनोद निर्भय के गजल -निगाहें चाँद तारों पे सभी ऐसे जमा बैठे, जहाँ में पानी, मिट्टी, हवा सबकुछ गंवा बैठे, ने गंभीर सवाल खड़ा कइलस।

प्रखर संभावनाशील कवि सत्यशील राम त्रिपाठी ‘ बहुत छोट उम्र में ही वो शैतानी ना करते, जो बच्चे टूट जाते हैं, नादानी नहीं करते, जइसन शेरन से सजल गजल सुनाके खूब वाहवाही लूटलें। फेर बारी आइल प्रबोध सिन्हा, हिमांशु जी सहुलियार आ वेद प्रकाश जइसन वरिष्ठ कवियन के काव्यपाठ के ऊ दौर, जवन ई साबित करे में कवनो कसर ना छोड़लस कि नया कविता लेखन के क्षेत्र में गोरखपुर के माटी केहू से कम नइखे।

उर्दू के वरिष्ठ रचनाकार नदीम अब्बासी ‘नदीम’ के ‘उठाओ, बढ़ के, न पूछो कि जाम किसका है। ये मयकदा है, यहाँ एहतराम किसका है, शेर सुनके सभागार तालियन के गड़गड़ाहट से गूंज उठल। वरिष्ठ भोजपुरी कवि सुभाष यादव के गजल-नया साल आइल, नया साल आइल। पुरनकी रजाई में पेवना सटाइल, के संगही दु तीन गीत सुनके श्रोता भावविभोर हो उठल लो। कार्यक्रम में नया कवि प्रखर रंजन आ झंगहां से आइल राम राम सजन यादव काव्यपाठ कइलें।

विशेष तौर पs आमंत्रित गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रोफेसर राजेश कुमार मल्ल कार्यक्रम के सराहना करत कहलें कि अइसन आयोजन आज के समय के जरूरत बा। अपना अध्यक्षीय संबोधन के दौरान जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष जेपी मल्ल भी एगो सारगर्भित गीत पढ़लें, जवना के सब लोग सराहना कइल।

आभार ज्ञापन प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष कलीमुल ह़क आ महासचिव भरत शर्मा कइलें। कार्यक्रम में सर्वश्री राजराम चौधरी, कहानीकार लाल बहादुर, रामयश, जगदीश लाल श्रीवास्तव, डाॅ प्रेम नारायण भट्ट, कवयित्री निशा राय, सरिता सिंह, प्रदीप सुविज्ञ आ कवयित्री इंजीनियर सतविंदर कौर समेत करीब पचास लोग उपस्थित रहल।

 

 

योग कs के ऊर्जावान भइल लोग साधक- योगाचार्य धर्मेन्द्र प्रजापति

 

 

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