ज्ञान प्रकाश राय के स्मृति-ग्रन्थ ‘ज्ञान बाबू’ के भइल लोकार्पण
प्रेस क्लब में सम्पन्न भइल लोकार्पण
आजादी के बाद के समय के पूर्वी उत्तर प्रदेश के हिन्दी पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर ज्ञान प्रकाश राय के स्मृति में अतवार के प्रेस क्लब सभागार में आयोजित एगो कार्यक्रम में स्मृति ग्रन्थ ‘ ज्ञान बाबू ’ के लोकार्पण भइल अउर खोजी अउर जनपक्षधर पत्रकारिता खातिर मनोज कुमार सिंह के पहिला ज्ञान बाबू स्मृति पत्रकारिता सम्मान दिहल गइल। सम्मान के रूप में उनके स्मृति चिन्ह, स्मृति ग्रंथ, शाल अउर सम्मान राशि भेंट कइल गइल।
एह मौका पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ आलोचक व साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रो.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो चित्तरंजन मिश्र, सम्मान समिति के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार आ सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही, दीप्त भानु डे आ गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अनिल राय, अमर उजाला के स्थानीय सम्पादक आ कवि अरुण आदित्य, प्रो राजेश मल्ल सहित नगर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार, पत्रकार आ सामाजिक कार्यकर्ता बड़ संख्या में उपस्थित रहनें। कार्यक्रम के अध्यक्षता प्रो अनन्त मिश्र कइलें। कार्यक्रम के आयोजन ज्ञान प्रकाश राय स्मृति पत्रकारिता संस्थान के ओर से भइल।
पत्रकार समाज के आंख होला- प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
अपने उद्बोधन में प्रो विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ज्ञान बाबू के याद साझा करत कहनें कि पत्रकार समाज के आंख होला। ऊ समाज में लोक के प्रतिनिधित्व करेने। स्वाधीनता के मूल्य जेकरे भीतर होई ओमें साहस अउर प्रतिरोध जरूर होई। भारतेंदु युग के सब लेखक पत्रकार रहनें। साहित्य के आधिकतर समाज पत्रकारिता के ह। पत्रकारिता के इतिहास साहित्य के साथही चलत रहल बा। आज उदारीकरण अउर पूँजी के प्रभाव आदि पत्रकारिता के प्रतिरोध के क्षमता कम कs दिहले। पत्रकार के स्वतंत्र आवाज के रूप में बोले के चाही। एहसे उनकर विश्वसनीयता अउर असर समाज पर बेसी पड़sला।
साहित्य अउर पत्रकारिता एकही बगिया के फूल : प्रो अनंत मिश्र
कार्यक्रम के अध्यक्षता करत प्रो अनंत मिश्र कहनें कि साहित्य अउर पत्रकारिता एकही बगिया के फूल ह। प्रो चितरंजन मिश्र कहनें कि आजु सत्ता असहमति के आवाज के क्रूरता से दमन क रहल बा अउर मीडिया के बड़ वर्ग एकर मुखालफत कइले के बजाय एके जायज ठहरवले में लागल बा। एहसे बड़ विडम्बना अउर का हो सकsता। पूंजी से जुड़ल पत्रकारिता बुलडोजर पत्रकारिता हो गइल।
आजु पत्रकार पढ़ले से दूर बानें : हर्षवर्धन शाही
ज्ञान प्रकाश राय पत्रकारिता सम्मान के चयन समिति के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार अउर वर्तमान में सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही अपने वक्तव्य में कहनें कि दशरथ प्रसाद द्विवेदी अउर ज्ञान बाबू उनके आदर्श रहल बानें। स्वदेश ’ अउर दशरथ प्रसाद द्विवेदी पर पहिले लिखल गइल लेकिन एह स्मृति ग्रन्थ के जरिए गोरखपुर के पत्रकारिता के इतिहास के एगो कालखंड के सामने लावे के प्रयास कइल गइल बा जेके बड़ पुरोधा ज्ञान बाबू रहल बानें। ऊ कहनें कि आजु पत्रकार स्वध्याय से दूर बानें अउर लिखले-बोलले के आजादी खातिर ऊ कुछ भी त्याग करे के तैयार नाइ रहल जबकि भारतीय पत्रकारिता एह मूल्य के रक्षा में हमेशा बड़ कीमत चुकवले बा।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर अउर पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो राजेश मल्ल कहनें कि आजु के कार्यक्रम एह मायना में अनूठा रहल कि हमनीके एक संगे तीन पीढ़ी के पत्रकार के संगे संवाद कs रहल बानीं जा। स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन अउर एह कार्यक्रम के आयोजन भले ज्ञान बाबू के घर वाले कइले बानें लेकिन उनके ई कोशिश समाज, पत्रकारिता खातिर मानीखेज बा।
अमर उजाला के स्थानीय सम्पादक आ कवि अरुण आदित्य कहनें कि दौर भले बदल गइल होखे लेकिन पत्रकारिता के आजु कैरियर अउर स्टैंड में से कौनो एगो के चुने के पड़े त ओके स्टैंड के ही चुने के चाहीं। हमनीके उम्मीद करे के चाहीं कि आजु के युवा पत्रकार ज्ञान बाबू के आदर्श से सीख लीहें।
प्रथम ज्ञान प्रकाश राय स्मृति पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित पत्रकार मनोज कुमार सिंह अपने उद्बोधन में कहनें कि भारतीय पत्रकारिता के जनमवे व्यवस्था से टकराव अउर बोलले के आजादी खातिर राज्य दमन के सामना से भइल बा।
कार्यक्रम के संचालन करत प्रो. अनिल राय कहनें कि ज्ञान बाबू पत्रकारिता के आपन जौन परम्परा बनवले बानें ओ के निभावल आजु के पत्रकारन खातिर एगो बड़ चुनौती बा लेकिन सच्चा पत्रकारिता खातिर ई जरूरी भी बा।
महराजगंज से आइल वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण मोहन अग्रवाल वर्तमान दौरा में पत्रकारिता में मूल्य के गिरावट पर चिंता जतावत ज्ञान बाबू के स्मृतियन के स्मरण कइलें। एह मौका पर स्मृति ग्रन्थ के संस्मरण लेखक वरिष्ठ पत्रकार श्यामानंद, जमीर अहमद पयाम, कृष्ण मोहन अग्रवाल, हर्षवर्धन शाही, राम मूर्ति, जितेंद्र राय के सम्मानित कइल गइल। धन्यवाद ज्ञापन ज्ञान प्रकाश राय पत्रकारिता संस्थान के संयोजक कथाकार रवि राय कइलें।
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