निकाय चुनाव में आरक्षण: हाईकोर्ट के फैसला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचल यूपी सरकार, चार जनवरी के सुनवाई
स्थानीय निकाय चुनाव मामिला में उत्तर प्रदेश सरकार के याचिका पर सुनवाई खातिर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गइल बा। शीर्ष अदालत कहलस कि ऊ एह मामिला में चार जनवरी के सुनवाई करी।
दरअसल, शहरी स्थानीय निकाय चुनाव के अधिसूचना रद्द करे के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट के रुख कइले रहे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय अपने आदेश में निकाय चुनाव पर सरकार के मसौदा अधिसूचना के रद्द कs दिहल गइल बा।
राज्य सरकार अपने याचिका में कहलस कि उच्च न्यायालय पांच दिसंबर के मसौदा अधिसूचना के रद्द नइखे कs सकsत, जौन अनुसूचित जातियन के, अनुसूचित जनजातियन के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) खातिर शहरी निकाय चुनाव में सीट के आरक्षण के प्रावधान करsला।
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड रुचिरा गोयल के माध्यम से दायर अपील में कहल गइल बा कि ओबीसी संवैधानिक रूप से संरक्षित वर्ग बा अउर उच्च न्यायालय मसौदा अधिसूचना के रद्द कइले में गलती कइले बा। बता देईं, उत्तर प्रदेश सरकार हमही में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी के आरक्षण प्रदान करे के सब मुद्दा पर विचार करे के पांच सदस्यीय आयोग नियुक्त कइले बानें।
का ह पूरा मामला?
बता देईं कि उत्तर प्रदेश सरकार पांच दिसंबर के निकाय चुनाव खातिर आरक्षण के अधिसूचना जारी कइले रहनें। एकरे खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कइल गइल। कहल गइल कि यूपी सरकार आरक्षण तय कइले में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला के पालन नाइ कइल गइल। एह पर हाईकोर्ट आरक्षण के अधिसूचना रद्द करत यूपी सरकार के तत्काल प्रभाव से बिना ओबीसी आरक्षण लागू कइल नगर निकाय चुनाव करावे के फैसला दे दिहलस।
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