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Demonetisation: सरकार के नोटबंदी के फैसला के मिलल सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट, चुनौती देवे वाली सब याचिका खारिज

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सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के 2016 में 500 अउर 1000 के नोट के बंद करे के फैसला बरकरार रखले बानें। कोर्ट सरकार के एह कदम के सही ठहरावत नोटबंदी के खिलाफ दायर सब याचिका के खारिज कs दिहले बा। पांच न्यायाधीशन के संविधान पीठ कहलस बा कि ई निर्णय कार्यकारी के आर्थिक नीति होखले के चलते उलटल नाइ जा सकsता।

सुप्रीम कोर्ट के कहनाम बा कि नोटबंदी से पहिले केंद्र अउर आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा भइल रहे। एह तरह के उपाय के लावे खातिर दूनों के बीच एगो समझौता रहल। कोर्ट कहलस कि नोटबंदी के प्रक्रिया में कौनो गड़बड़ी नइखे भइल। आरबीआई के लग्गे विमुद्रीकरण लावे के कौनो स्वतंत्र शक्ति नइखे अउर केंद्र अउर आरबीआई के बीच परामर्श के बाद ई निर्णय लिहल गइल।

फैसला रख लिहल गइल सुरक्षित

एहसे पहिले शीर्ष अदालत सात दिसंबर के केंद्र अउर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देश दिहले रहनें कि ऊ 2016 के फैसला से संबंधित सब रिकॉर्ड उनके सौंपे। एकरे बाद फैसला सुरक्षित रख लिहल गइल रहे। एह पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यन अउर बी वी नागरत्ना भी शामिल बानें। ऊ वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम अउर श्याम दीवान सहित आरबीआई के वकील अउर याचिकाकर्ताओं के वकील, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी के दलील सुनले रहनें।

58 याचिका के बैच पर भइल सुनवाई

गौरतलब बा कि सुप्रीम कोर्ट 8 नवंबर, 2016 के केंद्र द्वारा घोषित नोटबंदी के चुनौती देवे वाली 58 याचिका के एगो बैच पर सुनवाई कइले बा। एह याचिका पर सुनवाई के दौरान 500 रुपया अउर 1,000 रुपया के करेंसी नोट के बंद करे के गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बतावत वरिष्ठ वकील चिदंबरम तर्क दिहले रहनें कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित कौनहू प्रस्ताव के अपने दम पs शुरू नइखे क सकsत। ई खाली आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सिफारिश पर कइल जा सकsता।

उहवें, 2016 के नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करे के शीर्ष अदालत के कोशिश के विरोध करत सरकार कहले रहे कि अदालत अइसन मामिला में फैसला नइखे कs सकsत जब ‘घड़ी के पीछे कइले’ से कौनो ठोस राहत नाइ दीहल जा सकsता।

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