अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में लोककलाकार भिखारी ठाकुर के जयंती के पूर्वसंध्या के अवसर पs नाटक “कहत भिखारी” के भइल मंचन
रांची: डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय आ झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल जिफ्फा के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय परिसर, मोराबादी, रांची में 17 आ 18 दिसंबर 2022 के 5वां झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2022 जिफ़्फा के आयोजन के अंतर्गत विश्वविद्यालय के सभागार में 17 दिसंबर के महोत्सव के भव्य उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध लोककलाकार भिखारी ठाकुर के जन्मदिवस के पूर्वसंध्या पs रूपांतर नाट्य मंच, गोरखपुर के ओर से भिखारी ठाकुर पs केंद्रित सुनील जायसवाल निर्देशित नाटक ‘कहत भिखारी’ के मंचन भइल।
एह नाटक के लेखन वरिष्ठ रंगकर्मी अपर्णेश मिश्र आ निर्देशन सुनील जयसवाल द्वारा कइल गइल बा। अलग-अलग दृश्यन में संयोजित ई नाटक भिखारी ठाकुर के जिनगी आ रंगमंच खातिर कइल जाये वाला उनका संघर्षन के कलात्मक अभिव्यक्ति हs। नाटक में भिखारी ठाकुर के प्रौढ़ चरित्र सूत्रधार के भूमिका निभावत चरित्र के संगहु दर्शकन के सोझा उपस्थित होला। एह नाटक के प्रयोगिक रूप से प्रासंगिक, दृश्यानुकूल आ प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कइल गइल।
भोजपुरी के शेक्सपियर कहल जाये वाला भिखारी ठाकुर भोजपुरी नाट्य कर्म के जनजीवन के संगे जोड़त ओकरा के शास्त्रीय मानक प्रदान कइलें आ ओकरा के फूहड़पन से दूर रखलें। नाटक में भिखारी ठाकुर के जुवावस्था आ वृद्धावस्था के बहुते खूबसूरती से संयोजित कइल गइल बा।ई नाटक एगो लोककलाकार के जिनगी के संघर्षन आ भोजपुरी लोक विधा के चुनौतियों के बीच सच्चा रंगकर्म के स्थापित करे के जद्दोजहद में आपन पूरा जिनगी देवे वाला एगो नायक के कहानी कहत बा।
भिखारी ठाकुर के गांव में रंगमंच के सुरुआत के दृश्य के निर्देशक एतना कलात्मक ऊंचाई आ बारीकी से प्रस्तुत कइल गइल बा कि दर्शकन के सोझा मनोरंजक तरीका से त्रासदी के मूर्त कर देत बा। नाटक में भिखारी ठाकुर के मेहरारू के रूप में शिवांगी पाठक, जुवा भिखारी के रूप में आदित्य राजन आ अलग-अलग नाटकन आ ग्रामीणन के रूप में निशिकांत पांडेय, हरिकेश पांडेय, मनीष कुमार, सृष्टि, सनोज गौतम, प्रदीप सिंह, पवन कुमार आ श्रेयांशी श्रीवास्तव बहुते प्रभावशाली अभिनय कइल लोग आ दर्शकन के ताली बटोरल।
एह नाटक के एगो आउर सशक्त पक्ष संगीत हs। भिखारी ठाकुर पs कवनो नाटक के प्रस्तुति लोक संगीत के प्रभावी आ गम्भीर समझ आ स्वर के बिना कल्पना कइल असम्भव बा। नाटक कहत भिखारी में एह मांग के कलात्मक ऊंचाई के संगे पूरा कइल गइल बा। जवना के शगुन श्रीवास्तव, हर्ष कुमार आ सनोज बखूबी निभावल। संगीत निर्देशन जुवा रंगकर्मी आ संगीतकार आदित्य राजन के रहे।
भिखारी ठाकुर द्वारा लिखल गइल भोजपुरी गीतन के मनोहारी लय आ धुन के त्रुटि विहीन प्रस्तुति दर्शकन के मंत्रमुग्ध कs दिहल। निर्देशक दृश्यन के मोताबिक संगीत के चयन कइलें जवना से नाटक में सशक्त प्रवाह बनल रहल। ई नाटक के मजबूती के संगे-संगे दर्शकन खातिर आकर्षण के एगो आउर कारण बन गइल। राजनाथ वर्मा अपना प्रकाश परिकल्पना से नाटक के दृश्यन के अनुरूप प्रभाव पैदा कइलें। जवना के सराहना उहां उपस्थित रंग समीक्षक आ सुधि दर्शक कइल।
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