ऊ कहलें कि हम जानतनी कि भारत दुनिया के अंदर ज्ञान के भूमि ह। इहां वेद के परंपरा के साक्षात दर्शन होला। वेद परंपरा अउर मंत्र ऋषियन के उद्घाटित कइलें। इहे भारत के परम्परा ह। संत-ऋषियन के सानिध्य भारत के प्राप्त भइल। अद्वैत होखे खातिर चाहे द्वैत होखे ई मंजिल पर पहुंचले के अलग-अलग मार्ग ह। हमनी के संत लोग ऊ रास्ता दिखावल।
मुख्यमंत्री योगी कहलें भारतीय मनीषा में ऋषि लोग हमेशा इहे कहलें, महाजनों येन गतः सपंथा। इहे भारत के विराटता ह, एहीलिए कहल गइल एकम सत्य विप्रा बहुदा वदन्ति….। बहुते समय पहिले स्वामी रामानुजाचार्य जी आक्रांता लोग से बचे खातिर एक द्वैत मार्ग दिखवलें। ओसे पहिले शंकराचार्य जी अद्वैत मार्ग दिखवलें। ई सब दर्शन हमनीके अलग अलग कालखंड में दिखाई दिहल।
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