भागीरथी सांस्कृतिक मंच गोरखपुर के ओर से भइल 734वाँ कविगोष्ठी के आयोजन
भागीरथी सांस्कृतिक मंच, गोरखपुर के 734 कविगोष्ठी सिनेमा स्कूल शाही मार्केट गोरखपुर में आयोजित भइल।
एह कार्यक्रम के अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अरुण ब्रह्मचारी जी कइलन आ संचालन सत्यनारायण ‘पाठीक’ कइलन.
कार्यक्रम के विधिवत शुरुआत कवि सुधीर श्रीवास्तव के वंदना से भइल.
कार्यक्रम के उद्घाटन करत अभय ‘ज्योति’ भगवान के बारे में अइसे बोलले – क्या तोला क्या माशा जीवन सबही खेल खिलौने हैं। जैसा उसने रूप दिया है ,सुंदर सुघर सलोने हैं।।
वरिष्ठ गीतकार प्रेम नाथ मिश्र मंजिलन के बात अइसे कइलें-
चमन में सदा शूल मिलते रहे हैं , मगर फूल भी संग खिलते रहे हैं।
रुके है नहीं वीर मंजिल से पहले भले पांव कांटों से छिलते रहे हैं।।
अध्यक्षता करत वरिष्ठ शायर अरुण ब्रह्मचारी जी ने इंसानन के बात एह प्रकार से कइलें-
कहकशां में ढूंढ रहा हूं, खोये हुए अरमानों को।
हैवानों की बस्ती में, मैं ढूंढ रहा इंसानों को ।।
कविता पाठ करे वाला अउरी कवियन के नाम बा – सर्व श्री बद्री प्रसाद विश्वकर्मा, सुधीर श्रीवास्तवजी, सत्यनारायण ‘पाठीक’ रामसमुझ संवरा आदि।
कवि राजीव रंजन मिश्र के पिता के निधन से दुखी होके सभे कवि दिवंगत आत्मा खातिर दू मिनट के मौन रखले।
दर्शकन में बैजनाथ विश्वकर्मा आ सिनेमा स्कूल के रंगमंच निर्देशक आ निर्देशक श्री नारायण पाण्डेय मौजूद रहले.
सत्य नारायण ‘पाठीक’ सभका प्रति आभार जतवले।
Comments are closed.