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सम्पन्न भइल केतन यादव के पुस्तक ‘लौटती हुई साँझ’ के लोकार्पण

गोरखपुर के वरिष्ठ साहित्यकारन के हाथे सम्पन्न भइल कार्यक्रम

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जुवा गीतकार केतन यादव के पुस्तक ‘लौटती हुई साँझ’ के लोकार्पण आजु तारामंडल में स्थित प्रताप सभागार में सम्पन्न भइल। एह पुस्तक के लोकार्पण के मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष अउर साहित्य अकादमी के हिंदी संयोजक प्रो चित्तरंजन मिश्र जी रहने। दूसर अथिति लोग में प्रो अरविंद त्रिपाठी, प्रो आर डी राय, श्रीधर मिश्र, आमोद राय समेत कई वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित रहने। कार्यक्रम गोरखपुर में साहित्य के सेवा में समर्पित संस्था ‘संगम’ के निर्देशन में भइल।

संगही ‘जैम इन 5 बैंड’ टीम के ओर से केतन के गीत के सांगीतिक प्रस्तुतिओ भइल। सभे केतन के एह गीत-संग्रह खातिर अनघा बधाई अउर आगे लिखत रहले के अशीष अउर शुभकामना देहल। कार्यक्रम के संचालन आकृति विज्ञा अर्पण कइली।
आपने बात में आमोद राय जी कहलें एगो सौंदर्य के दृष्टि होला, एगो दृष्टि के सौंदर्य। केतन के लग्गे दृष्टि के सौंदर्य बा। श्रीधर मिश्र जी कहलें कि पूत के पाँव पलनवे में लउके लागल बा। ऐसे ए बात के आस्वस्ति बा कि केतन आपन उमिर के बहुते सलीका से जीयत बानें। प्रो अरविंद त्रिपाठी कहलें कि कवि के अपने अस्त्र मने भाषा पs अधिकार बनावे के चाहीं। कविता के जौन छांदिक परम्परा लमसम बिल्लइले दाखिल बा, ओके जिंदा रखले के यज्ञ में एगो हवि डरले हवें।
प्रो चित्तरंजन मिश्र जी कहनें इस टुच्ची, झप्पटाखोर दुनिया में प्रेम एगो पेड़ के छांव ह। केतन के कविता में सपना बहुत बा अउर जेकरे जीवन में सपना नाई होला ओकर जीवन जीवन नाइ होला। काहेसेकी केहूँ वर्तमान में नाइ जीयला, सभे सपना में जीयsला।
अंत में कवि केतन सबके आभार व्यक्त कइनें। केतन के माई बाऊजी, भाई बहिन, मित्र कुमार आशू, शिवेंद्र, नितेश, रजनीश, उत्सव आदि लोग एह कार्यक्रम के साखी बनने।

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