साल के शुरुआत से कई गो त्योहार होखे लागेला। फसल से जुड़ल परब पहिला महीना में देखे के मिलेला। लोहड़ी भी अइसने एगो परब हs। मान्यता के अनुसार लोहड़ी के दिन सूर्य भगवान आ अग्नि भगवान के पूजा होला। एकरा अलावा लोहड़ी के पूजा बढ़िया फसल के कामना करे खातिर कइल जाला। लोहड़ी किसानन के मेहनत, एकता आ समृद्धि के प्रतीक भी हs। एकरा के खाली पंजाब में ना बलुक उत्तर भारत के कई राज्यन में खूब धूमधाम से मनावल जाला। इहाँ जानीं कि एह साल कवना दिन लोहड़ी के परब मनावल जाई आ लोहड़ी के पूजा कइसे कइल जाला.
लोहड़ी कब बा?
कैलेंडर के हिसाब से एह साल लोहड़ी 13 जनवरी के मनावल जाई आ अगिला दिने मकर संक्रांति पड़ रहल बा। हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहिले लोहड़ी मनावल जाला.
लोहड़ी पूजा विधि
लोहड़ी के दिन सबेरे-सबेरे उठ के नहाए के चाही। एकरा बाद मंदिर के सफाई कs के भगवान श्रीकृष्ण, अग्नि देव अवुरी माँ दुर्गा के पूजा कईल जाला। सुबह सूर्य भगवान के ध्यान आ पूजा कइल भी बहुत शुभ होला। लोहड़ी के साँझ के आग जरावल जाला। एकरा खातिर सूखल लकड़ी के एक संगे मिला के जरा दिहल जाला। एह में कांडा आदि के प्रयोग भी होला। अब रेवड़ी, फुल्ला, खील, लड्डू आ मक्का के साथे मूंगफली भी मिलावल जाला। एकरा बाद लोहड़ी के आग के चक्कर लगा के पूजा पूरा हो जाला। परिवार आ दोस्तन के साथे लोहड़ी मना के एह परब के पूरा आनंद लिहल जाला।
एही तरे लोहड़ी मनावल जाला
भारत में ही ना बल्कि दुनिया में जहां भी सिख लोग रहेला, लोहड़ी बहुत धूमधाम से मनावल जाला। लोहड़ी के दिन ढेर लोग ढोल बजावेला आ गावेला आ नाचेला। लोहड़ी के दिन एक दूसरा के शुभकामना भेजल जाला, नया कपड़ा पहिरल जाला, तैयार होला, पुरनका दिन के एक संगे बईठ के नाच-गाना के याद कईल जाला अवुरी लोहड़ी प्रसाद के अलावे अवुरी पकवान भी खाइल जाला। लोहड़ी के दिन लोग बहुत उत्साह से मकई के रोटी आ सरसों के साग खाला।
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